तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।
(श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकम - 7-8)
अर्थ-
'महान् तेज के प्रकाशक, जगत् के कर्ता,महापापहारी उन सूर्य भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ। ज्ञान-विज्ञान तथा मोक्ष के प्रदाता,बड़े-से-बड़े पापोंके अपहरणकर्ता,जगत् के स्वामी उन भगवान् सूर्यदेव को मैं प्रणाम करता हूँ ।'
आदिदेव भगवान् भास्कर की कृपा से आपका दिन मङ्गलमय हो