shashikant pandey's Album: Wall Photos

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पैर से अपाहिज एक भिखारी हमेशा प्रसन्न और खुश रहता था। किसी ने पूछा "अरे भाई! तुम भिखारी हो, लंगड़े भी हो, तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है फिर भी तुम इतने खुश रहते हो"। क्या बात है? वह बोला, "बाबूजी! भगवान का शुक्र है कि मैं अंधा नहीं हूं भले ही मैं चल नहीं सकता, पर देख तो सकता हूं मुझे जो नहीं मिला मैं उसके लिए प्रभु से कभी कोई शिकायत नहीं करता बल्कि जो मिला है उसके लिए धन्यवाद जरूर देता हूं" यही है दुख में से सुख खोजने की कला।

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