कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पूरे साल जितना गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 23 नवंबर शुक्रवार को है।
क्या है इस पूर्णिमा का महत्व
कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि पर ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन चंद्रोदय के समय शिव जी और कृतिकाओं की पूजा करने से भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही इस दिन दीप दान का विशेष महत्व है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा भी की जाती है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है।
गंगा स्नान के बाद जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। इस दिन मौसमी फल, उड़द दाल, चावल आदि का दान शुभ होता है।
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है, जो 23 नवंबर को है। वैसे पूर्णिमा तिथि 22 नवंबर की दोपहर से ही लग जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दीपदान का बड़ा महत्व है। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे महापर्व माना है। प्रयागराज, अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, म्ल्किकार्जुन, हरिद्वार आदि तीर्थ स्थानों में इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। जागृत तीर्थ और भगवान राम के कारण समस्त देवी-देवताओं के प्रिय निवास स्थान चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत पर इस दिन दीप ही दीप देखने में आते हैं। पापों को जलाने वाली मंदाकिनी के घाट पर भी दीपों की शृंखला मन मोह लेती है। यहां देव प्रबोधिनी एकादशी के साथ ही दीप उत्सव शुरू होता है। आज ही शिव ने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर त्रिपुर दैत्य का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को मोक्ष प्राप्ति कराने वाली पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेघ और सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।