आज ईस तस्वीर ने मुझे मेरे बचपन के वो संघर्षो की याद दिला दी जब मै बोझिल मन से मजबूरीवश वो सभी काम किया करता था जो मुझे पसंद नही थे......
बात शायद 1998-99 की होगी जब मंगलवार या शनिवार को सुबह 4-5 बजे उठकर केरोसिन(मिट्टी तेल) के लीये लाईन मे लगना पडता था और राशन दुकान के 9बजे खुलते हि आपा-धापी को सहकर केरोसिन लेने के लीये लडना पडता था और बच्चा देखकर लोग भी दबाने की कोशीश करते थे।लंबी लाईन और कालाबाजारी के कारण कई बार दोपहर हो जाती पर केरोसिन नही मीलता था और ये क्रम कई सालो से जारी था।
02-03(जहा तक मुझे याद है) मे हमारे पसंदीदा गोरे(गाय का बछडा) को बेचने पर हमारे गुस्से को शांत करने के लीये उन रुपयो से हमारे यहा गैस का क्नेकशन लीया गया था और उस वक्त गैस के आने की खुशी कम से कम मुझे नही थी(मुझे कौन सा खाना बनाना पडता था जो खुशी होती) और सिलेंडर लेने जाने के नाम पर तो दिमाग हि घुम जाता था क्योकी उस वक्त सिलेंडर की मारा-मारी और कालाबाजारी जमकर होती थी।कई बार 8-10 दिन बाद भी सिलेंडर नही मीलता था जबकी दो नंबर मे बेचने वालो के पास हमेशा सिलेंडर उपलब्ध होता था और ये हाल सीर्फ हमारे यहा नही बल्कि पुरे भारत मे समान थे।
कुछ सालो पहले तक सिलेंडर के साथ केरोसिन भी रखना पडता था क्योकी सिलेंडर मिलेगा या नही भरोसा नही होता था।
सिलेंडर,केरोसीन,युरिया और ऐसे न जाने कितने सारी जीवनोपयोगी व आजीविका से जुडी वस्तुओं के लीये #कान्ग्रेस ने 70 सालो तक देश के लोगो ऐसी हि कतारो मे खडे रहने और सुविधाओं के लीये जुझने पर मजबूर किया।लोगो का जो समय अपने काम-धंधे और नौकरी के लीये उपयोग होना चाहिए था वो समय ऐसे हि ईन कतारो मे खडे होकर बर्बाद हो जाता था और सरकार-अधिकारी द्वारा ठेकेदार-दलाल तक ये सभी वस्तुओं आसानी से पहुंचा दि जाती थी।
देश को दशको तक कतार मे खडे रखने वाले ईन नेताऔ को कतार मे बैठकर बेरोजगारों की तरह टाईमपास करते देखकर बडा सकुन मील रहा है।आज ईन्हे भी वही तकलीफ हुई होगी जो देश के हर आम नागरीक व परिवार ने दशको तक झेला है।