Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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#डॉ_भीमराव_अंबेडकर_द्वारा_बेगार_आंदोलन

बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर जी ने "बेगार" के विरुद्ध आंदोलन आज ही के दिन यानी 28 मार्च 1928 को शुरू किया था...

जी हाँ बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने 28 मार्च 1928 को बेगार के विरुद्ध संघर्ष आरम्भ किया उस दिन उन्होंने बम्बई विधान परिषद में एक बिल पेश किया , जिसका भाव 1874 के बम्बई मौरूसी ज़मीदारी क़ानून में संसोधन करना था....

यह कानून अस्पर्स (अछूतों) से सरकारी कामों के लिए बेगार लेने की आज्ञा देता था..अगर कोई अछूत मौजूद न हो तो उसके पिता या समान स्तर के किसी भी अन्य सदस्य को बेगार पर ले जाया करता था...इसके बदले बेगार देने वाले अछूत को दो आने से लेकर 1 रूपया मासिक तक उजरत दी जाती थी...और इसके बदले उसे थोड़ी सी भूमि , जिसे "वतन" कहा जाता था दी जाती थी...

बेगार प्रथा ने अछूतो को निःसत्व करके रख दिया था वे जीवित ही मरे हुए के समान थे उनके जीने की आस अब मुरझा चुकी थी उनका उत्साह और इच्छाएं सब बेगार ने दबोच ली थी बेगार रूपी दासता की जंजीरें तोड़ने के लिए बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर जी ने ये बिल पेश किया...

डॉ0 भीमराव अम्बेडकर जी ने मांग की कि जो भूमियाँ बटाईदारों के पास है , वे उन्हें पूरे मालिये पर दी जाएँ और उनसे बेगार लेनी बंद की जाये..और उन्होंने कहा कि बेगार अछूतों की उन्नति में जबरदस्त रुकावट है और वे इस बिल को पास करवाने के लिए आम हड़ताल करवाने के लिए तैयार है..

डॉ0 आंबेडकर जी ने परिषद से त्यागपत्र देने को तक कह दिया....

मैंने जब भी इतिहास उठा कर देखा है तो यही पता चलता है कि बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर जी ने कभी किसी पद को अपने लिए नही समझा उन्होंने हमारे अधिकारों को दिलाने के लिए अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया...और मैंने न तो इतिहास में और न आजतक सामाजिक के प्रति अपने पद तक त्यागपत्र देनेवाला योद्धा आज तक नही देखा..."

बाबा साहब अपने हमारे अधिकारों के लिए अपने पद से त्यागपत्र तक दे दिया

जय भीम______________________नमो बुद्धाय

_________Love u baba saheb