यूँ ही नही हैं हम विश्वगुरु-
हमारे भगवान को लू लग रहा है जबकि चीन मानव दिमाग पढ़ने का चिप बना रहा है........
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भारत विश्व गुरु है क्योकि यह भगवान को लू से बचाने के लिए एयरकंडीशनर लगा रहा है।यह कोई लघुतापूर्ण कार्य थोड़े न है,यह निःसन्देह गुरुतर कार्य है क्योकि यदि भगवान बीमार पड़ गए तो पूरी कायनात पर संकट आना ही आना है इसलिए कायनात को बचाने का कार्य कोई गुरु ही कर सकता है जो भारत के पुरोहितों द्वारा किया जा रहा है इसलिए यह विश्व गुरु कहलाने का हकदार था और है भी।
अखबारों में खबर छपी है कि चीन दिमाग पढ़ने वाली चिप बना रहा है। अब चीन को कौन समझाए कि वह जो कुछ भी आज कर रहा है वह हमारे वेद-पुराण के रचयिताओं ने वर्षों पूर्व लिख रखा है।हमारे शास्त्रों में आकाशवाणी द्वारा पूर्व व वर्तमान की बातों को बोलने,मन मे क्या है इसे जानकर निदान सुझाने आदि के वाकयात लिखे हुए हैं।
कोई यह कहा करे कि भारत भगवान बनाने वाला देश है।यहां जाति ही श्रेष्ठ व निम्न है।योग्यता को यहां ठेंगा दिखाया जाता है।पुरोहित पैसे ले स्वर्ग जिसे किसी ने देखा नही है वहां भेजने का ठेका लेता है।गंगा नहाने पर सारे पाप कट जाते हैं मतलब मस्त हो पाप करो और अमावस्या/पूर्णिमा/कुम्भ आदि में नदियों में नहाकर पुरोहित को दान दे दो,सारे पाप कट जाते हैं।
कोई यह कहा करे कि भारत ने कोई आविष्कार नही किया तो कहा करे लेकिन उन्हें शायद यह ज्ञान नही है कि हमारे ऋषि-महर्षियों ने वेद-पुराण-उपनिषद में विमान (पुष्पक विमान),रॉकेट/स्कड/पैट्रियट मिसाइल(चक्र सुदर्शन) आदि की कल्पना कर रखी है या हमारे देवी-देवताओं ने इन पर सवारी की है या इन्हें धारण कर उपयोग किया है।
कौन नही जानता है कि नारद खड़ाऊं पहन आसमान में उड़ते थे,हनुमान सूरज निगल जाते थे तथा पहाड़ उठा ले जाते थे।किसे नही पता है कि राम पुष्पक विमान रावण से छीन लाये थे।कृष्ण चक्र सुदर्शन जैसा हथियार रखते थे।चक्र सुदर्शन जैसा अभी पैट्रियट मिसाइल भी समुन्नत नही है।अग्नि बाण,जल बाण,वायु बाण,ईंट-पत्थर-कंकड़ बरसाने वाला बाण जैसे शस्त्र हमारे देवताओं की शोभा बढ़ाते थे।हमारे पूर्वज सर में मोटी सी चोटी रखते थे जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता था।वे जनेऊ धारण करते थे जिससे प्रॉस्टेट व पेशाब रुकने जैसी बीमारी नही होती थी।वे गंगाजल व गोमूत्र पी खुद को पवित्र कर लेते थे।दुनिया ओजोन परत के क्षरण से परेशान है जबकि हमारे पुरखे यज्ञ में घी,जौ,तिल, चावल,धूप आदि जलाकर धुंवे से पर्यावरण शुद्ध कर डालते थे।गोमेध, अश्वमेध,मेषमेध या नरमेध यज्ञ कर वे मानव कल्याण कर दिया करते थे,तभी तो वे विश्व गुरु बने हुए थे।अब चीन जैसा देश जहां कोई भगवान ही नही है अर्थात भगवानों के मामले में दरिद्र देश चीन मानव दिमाग पढ़ने का चिप बना इतरा रहा है और उसे विश्व इतिहास पता नही है कि भारत कितना गौरवशाली अतीत सहेजे हुये है?
चीन को ह्वेनसांग या फाह्यान आदि को ही पढ़ लेना चाहिए जो भारत मे उसके गुरुतर ज्ञान के कारण आये थे और देखे थे कि यहां मरे हुए पुरुष के साथ उसकी विधवा पत्नी को जिंदा चिता पर जलाकर सती कर दिया जाता था।ऐसा करने के समय बाकायदे ढोल-मंजीरे के साथ हरिकीर्तन गाया जाता था।दुनिया में शायद ही कहीं ऐसा लिखा मिले कि मरे व्यक्ति के साथ उसकी जिंदा पत्नी जला या गाड़ दी जाती हो पर भारत इस मामले में गुरु है तो है।
भारत मे जन्म लिए पहले पुत्र को गंगा दान देने की व्यवस्था थी तो पहली पुत्री को भगवान को दान दे देवदासी बनाने की व्यवस्था थी।ऐसा दुनिया में कहीं नही सुनने को मिलेगा पर भारत मे ऐसा होता रहा है। अनायास भारत विश्व गुरु नही कहलाया है।यह खूबियां दुनिया मे कहीं और नही दिखेंगी इसलिए भारत का कही किसी से कोई मुकाबला नही हो सकता है।
चीन मानव दिमाग पढ़ने का चिप बनाये या कृत्रिम चांद व सूरज,चीन कृत्रिम बारिश करवाये या समाचार वाचन हेतु रोबोट बनाये लेकिन वह भारत का कभी भी मुकाबला नही कर सकता क्योकि यहां अभी भी कंदराओं में पड़े रह दुनिया मे चमत्कार करने वाले लोग हैं,जादू-टोने से इलाज करने वाले सोखा व तांत्रिक हैं,मनौती मानकर सरकार चलाने वाले लोग हैं।चीन कुछ नया ईजाद कर इतराया करे लेकिन हम अतीत व शास्त्रों के बूते विश्व गुरु थे व बने रहेंगे।
-चन्द्रभूषण सिंह यादव
प्रधान संपादक-"यादव शक्ति"
कंट्रीब्यूटिंग एडिटर-"सोशलिस्ट फ़ैक्टर"