विनाश का दूसरा नाम ब्राह्मणवाद है। इतिहास गवाह है कि भारत में जब जब ब्राह्मणवाद हावी हुवा है तब तब भारत ग़ुलाम हुआ है।
यूरेशियन आर्य ब्राह्मण इतना नालायक है कि वह प्रत्यक्ष रूप से राज कर ही नहीं सकता और बिना सत्ता के वह जी नहीं सकता अथवा रह नहीं सकता।
जब भी विदेशी ब्राह्मण भयानक व शातिर प्रकृति का भंडाफोड़ हुआ है तब तब उसने अप्रत्यक्ष रूप से शासन करने के लिए
अपने विदेशी भाईयों के हाथों देश को ग़ुलाम बनवाया है। अपने विदेशी भाईयों को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया।।
तथाकथित गुप्त काल में विदेशी ब्राह्मणों ने मंदिर बनवाए। धार्मिक अनुष्ठानों पर देश की सम्पत्ति लुटाकर देश को आर्थिक व सैन्य रूप से बर्बाद किया।
एक ऐसी विनाशकारी धार्मिक व्यवस्था को स्थापित किया जिसका देश व व्यवहार में कोई अस्तित्व नहीं था। इस विनाशकारी व्यवस्था ने देश के समाजिक व अध्यात्मिक ताने बाने को नष्ट कर दिया।
विदेशी ब्राह्मणों ने देश में अव्यवस्था का माहौल बनाया और विदेशियों को आमंत्रित किया। उन्होंने कभी भी बहुजन की सत्ता को स्वीकार नहीं किया और न ही करेगा।
विदेशी यूरेशियनों ने व तथाकथित क्षत्रियों वैश्यों ने विदेशियों को अपनी बहू बेटियां सौपकर देश पर अप्रत्यक्ष रूप से शासन किया व देश की भोली भाली जनता पर जुल्म ढाये।
वर्तमान में भी विदेशी यूरेशियन ब्राह्मण की नालायकी और शातिरता का भंडाफोड़ हो चुका है।
आज भी उसने पहले की तरह देश में संवैधानिक व वित्तीय संस्थाओं सहित अन्य सभी संस्थाओं को बर्बाद करके अव्यवस्था की स्थिति पैदा कर दी है।
ऐसी स्थिति में बहुजनों का कर्तव्य बनता है कि वह शिक्षित होकर देश की बागडोर संभाले और देश के विनाशक को देश से बाहर करने का रास्ता दिखाए।