"जो ओ.बी.सी., एस.सी., एस.टी. का बहुजन समाज के लोग इस घमंड में जी रहे है कि हमारी आबादी ज्यादा है और इसे कोई नहीं मिटा सकता, मैं उन्हें ये कहना चाहूंगी की सिर्फ दो मिनट का समय निकाल कर मेरे इस पोस्ट को पढ़ें, और इसको अपनी आम ज़िन्दगी में अमल करें।" आखिर न्यायालय से ओ.बी.सी. कैसे, क्योंऔर क्यों मिट गया ?
01. "संविधान" जो बाबा साहब अंबेडकर ने अपने बहुजनों के लिए बनाया आज उसकी हिफाजत के लिए आज वहाँ एक भी 'बहुजन' नहीं बचा l
02. 'आरक्षण' जिसका विवरण संविधान में है, जहां पर राज बहुजन समाज का होना चाहिए आज उन जगहों को 'प्राइवेट कंपनियों' को बेंचा जा चुका है और वहाँ आज एक भी बहुजन नहीं बचा l
03. 'सचिवालय' जहाँ डा. लोहिया ने ओ.बी.सी., एस.सी., एस.टी. के हकदारी के लिए जी जान लगा दी आज वहाँ एक भी सचिव 'ओ.बी.सी., एस.सी., एस.टी.' नहीं है....?
04. 'खेती के क्षेत्र' में जहाँ 40 साल पहले तक 90% लोग काम करना चाहते थे, आज सिर्फ 10% बचे हैं क्योंकि खेती पर निर्भर रहने वाली बड़ी आबादी ओ.बी.सी. वर्ग था !!
05. 'मिडिया जगत' में जातिवाद का हालत यह है कि 'ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी.' को घुसने तक नहीं दिया जा रहा है....!!
06. "देश" में बहुजनों की आबादी 85% है मगर देश के 'कैबिनेट मंत्रालय' में 1% भी नहीं है....!!
07.. "न्यायालय " में 90% केस ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. के हैं, मगर 1% वकील और जज ओ.बी.सी., एस.सी., एस.टी. के नहीं है!!
08. मित्रों, विश्वविद्यालय, विद्यालय, मे 85% बच्चे ओबीसी- एससी- एसटी के है मगर 1% डीन, वी.सी., प्रोफेसर, लेक्चरर, ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. के नहीं है!!
09. देश के इकोनॉमी को 85% टैक्स आप ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. देते हों मगर मजा 3% आबादी वाला धूर्त और चालाक उठा रहा है.....!!
10. आपके पैसे को लूटकर देश के चंद लोग खा रहे हैं और सरकार मध्यस्थता (दलाली) कर रही है...!!
11. हमेशा हिंदू के नाम पर वोट की की भीख मांगने वाले ……जब ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. के हक और प्रतिनिधित्व की बात करो तो आप पर जातिवाद का आरोप लगाता है ..!!
12. देश में 29 राज्य हैं भारत के और ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. की आबादी के 25 राज्यों में 85% से उपर है मगर केवल 5 सी.एम. ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. हैं.....!!
13. और "बहुजनों" का एक मात्र देश भारत ही अब "बहुजनों" के लिए सुरक्षित नहीं रहा l
14. मैंने 10 लोगों को जो कि ओबीसी-एससी-एसटी हैं, उनसे पूछा कि किस जाति के हो ?
सभी ने अलग - अलग जवाब दिया, कुछ इस तरह :--
किसी ने कहा :-- यादव /अहीर/राव/गोप/चौधरी…
किसी ने कहा :-- पटेल/कुर्मी…
किसी ने कहा :-- कोईरी/कुशवाहा/महतो…
किसी ने कहा :--जाट/चौधरी/ गुर्जर आदि….
किसी ने कहा :-- पाल, गुर्जर, शाक्य, कहार, धानुक, रेड्डी, कम्मा, लिंगायत, सैनी…… सब लोगों ने अलग - अलग बताया l
14. लेकिन मैंने 10 ब्राह्मणों से पूछा कि कौन सी जाति के हो ? सभी का एक जवाब आया…… "ब्राह्मण "...! मुझे बड़ा अजीब लगा, मैंने फिर से पूछा, फिर वही जवाब आया…… "ब्राह्मण "....!!
15. तब मुझे बहुत अफसोस हुआ, और लगा हम कितने अलग-अलग और वो कितने एक……!!!
16. भारत ओ.बी.सी.-एस.सी.-एस.टी. का है और हम सब भारतीय और भारत के हर संसाधन पर हमारा हक होना चाहिए !!
17. और अगर आप को "भारतीय " होने का गर्व करते हो तो इस पोस्ट को इतना फैला दो यह पोस्ट मुझे वापस किसी बहुजन भारतीय से हीं मिले l
18. 'दिल्ली सुप्रीम कोर्ट' में एक ओ.बी.सी. भाई ने जनहित याचिका डाली थी कि मंदिर में एक ही जाति का मठाधीश और पुजारी क्यों होता है ?
19. सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका रिजेक्ट करते हुये कहा कि "वेद और पुराण" के हिसाब से मंदिर पर हक ब्राह्मण का हीं है क्योकि फैसला सुनाने वाला जज ब्राह्मण हीं था !
20. यदि योग्यता और बराबरी का हक वेद और पुराण के खिलाफ है, माननीय सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से भारत में बराबरी अौर संविधान की बात हराम है.....!!
21. क्या नेता इस पर कुछ टिप्पणी देंगे ? अजीब कानून है भैया……अपने पैसे के लिए देश लाइन में लगा है... जनता का पैसा खाने वाला माल्या पाँच सितारा होटल में पड़ा है, ये जो नीचे लिखा है वो कोई मज़ाक नहीं है, कल ये आपके शहर में भी हो सकता है l
22. अगर ये किसी ओ.बी.सी., एस.सी., एस.टी., किसान लेकर भागा होता तो इन जातिवादी मिडिया वाले आपको पकड़कर तिहाड़ में डाल दिए होते..!
23. कुछ दिन पहले जी न्यूज के सुधीर चौधरी ने सपा के सुनील कुमार सर से तल्ख़ मुद्रा में पूछा था कि अगर देश में ब्राह्मण ज्यादा हर पद पर हो जायेंगें तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा ? इसका एक प्रायोगिक उत्तर कल के एक वाकये ने दिया l
24. बीजेपी के शासित गुजरात में "दलित " को इसलिए गाड़ी मे बाँधकर मारा गया कि वह उनके मरे हुए गाय को नहीं उठाया ...! ....और उन्होंने उनके पेशाब को पीने से मना कर दिया.....!!
25. मगर उन पर इस अत्याचार की कारवाई तक नहीं हुई वो फिर अपना अत्याचार फैला रहे हैं क्योंकि ..गुंडा भी वही है, थाने की पुलिस, थाने का दलाल, एसपी-कलेक्टर,
आगे बढ़ो तो .... वकील और नेता, यहाँ तक की जज भी उनके जाति का है.....!!
26. आर.एस.एस. का तमाशा यह है कि वो वोट के लिए हिंदू धर्म का सहारा लेता है लेकिन जब देश के 85% हिंदुओं ने आरक्षण के लिए आंदोलन किया तो उन्हें गोलियो से भून दिया...!! ( 18 पटेल युवकों को गुजरात में गोली मार दी )
27. और जब भारत को आजादी मिली तो तिरंगे को जलाया ....तिरंगे से उनकी नफरत और 'जय हिन्द' पर आपत्ति इस सबका कारण थी l
28. पुलिस ने उस वक्त कुछ लोगों को गिरफ्तार किया लेकिन वो सब एक जाति के थे प्रशासन ने जातिवाद दिखाया उनको छोड़ दिया गया l
29. ध्यान रहे वो अनपढ़ लोग नहीं, वो पैदाइशी चालाक थे और आज भी हैं... एकता में ही ताक़त है, इसको समझिये आप लोग....!!
30. अभी जब यू़.पी. में 56 SDM कि फ़र्ज़ी खबर मीडिया और सोशल मीडिया में उड़ी तो विशेष जाति के लोग बौखला गए थे। चूँकि मामला यादवों से जुड़ा था, इसलिए अन्य जातियां भी हर तरीके से इनके साथ थीं। क्योंकि यादव विरोध पर मैंने अब तक सबको एक झन्डे तले पाया है। अब 110 के करीब ब्राह्मण -'उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग' में चयनित हुए है। कोई शोर- शराबा नहीं है, सब खामोश हैं। मतलब ब्राह्मण अधिकारी सर्वमान्य हैं। अगर यादव बनता है, तो पिछड़े और दलित भी विरोध में आ जाते हैं। मुझे पिछड़ों और दलितों की स्थिति उस कटी पतंग के माफिक लगती है जिसके पाने के लिए पीछे सब दौड़ते हैं और नहीं मिलने पर फाड़ देते हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पिछड़ों की प्रतीत होती है।
31. जब 'अनिल यादव' उत्तर-प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष थे, तब इलाहबाद की सड़कों पर बड़ा हंगामा हुआ था। जुलूस निकाले गए थे, तोड़-फोड़ की गयी थी और समूचे 'यादव-समुदाय' को गालियाँ दी गयी थी। उपद्रवी यहीं नहीं रुके उन्होंने गाय बैल तक को डण्डों से पीटा था, क्योंकि वो यादव नामक पिछड़ी जाति से आते थे। रातों– रात ‘लोक सेवा आयोग’ को ‘यादव सेवा आयोग’ लिख दिया गया। अब मिश्रा, सचिव है और 110 ब्राह्मण चयनित हुए हैं। लेकिन आयोग ‘ब्राह्मण लोक सेवा आयोग’ नहीं हुआ।
32. मैं कल्पना कर सकती हूँ जब यू.पी. या बिहार में पहला डी.एम. जब पिछड़ी जातियों में से बना होगा तब लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही होगी? क्या प्रतिक्रिया रही होगी जब बिहार में लालू ने पिछड़ों और शोषितो का परचम लहराया होगा? या उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह ने समाजवाद का आगाज़ किया होगा?आप आकलन कर सकते हैं कि चारा घोटाला जगन्नाथ मिश्र के समय शुरू हुआ और लालू यादव पर भी दोष सिद्ध हुआ पर सात समुन्दर पार तक लालू चारा चोर है, जबकि असली चोर जगन्नाथ मिश्रा को कोई जानता तक नहीं। आप दिमाग पर जोर डालेंगे तो इनके षड्यंत्रों को बखूबी समझ जाएंगे। ये वो लोग है जो किसी भी कीमत पर आपको सत्ता के केन्द्र में नहीं देखना चाहते, ‘आरक्षण’ तो बहाना मात्र है।
33. अगर यादव सत्ता में आये तो सत्ता का ‘यादवीकरण’ हो जाता है। क्यों जनाब? अस्सी फीसदी ब्राह्मणों को ढो रही संसद का आज तक ‘ब्राह्मणीकरण’ नहीं हुआ? साठ फीसदी से अधिक ब्राह्मणों को झेल रहे इन आयोगों का ‘ब्राह्मणीकरण’ क्यों नहीं हुआ आज तक? न्यायालयों में अस्सी फीसदी से अधिक ब्राह्मण होने के बावजूद न्यायालयों का ‘ब्राह्मणीकरण’ क्यों नहीं हुआ आज तक?जबकि वीरेंदर सिंह के चुनते ही लोकायुक्त का ‘यादवीकरण’ हो गया था। देश के इन तमाम मन्दिरों का ‘ब्राह्मणीकरण’ क्यों नहीं हुआ? जहाँ की सदियों से ब्राह्मणों की सौ फीसदी भागीदारी है।
34. मुझे मालूम है कि इसका कोई उत्तर नहीं मिलेगा, पर पिछड़ों को इस साजिश को समझना होगा और अपने हकों के लिए एकजुट होना होगा।
35. किसी ऊंचे पद पर अगर एक यादव के बाद दूसरा यादव आ जाए तो भारत का ब्राह्मणी मिडिया इसे “यादववाद” मान लेता है। किसी ऊँचे पद पर एक दलित अफसर के बाद दूसरा दलित अफसर आ जाए तो भारत का ब्राह्मणी मीडिया इसे “दलितवाद” घोषित कर देता है। लेकिन अगर एक के बाद एक दर्जन या सैकड़ों ब्राह्मण अफसर भी आ जाएँ तो भारत का ब्राह्मणी मीडिया उसे “ब्राह्मणवाद” नहीं बल्की “मेरिट” मानता है। यह कड़वा सत्य दवा की तरह लगेगा।
36. ओ.बी.सी. के विरोध में हो रहे षडयंत्र कि जानकारी ओ.बी.सी. के जागृत लोगों को नहीं है, ओ.बी.सी. के लोग तो लिखे पढे लोग हैं, जो ब्राह्मणों नें लिखा वही पढा ... इसलिए आज उनके हक अधिकार ब्राह्मणी तंत्र द्वारा छिन लिए गयें हैं |
37. संविधान कहता है कि आरक्षण (प्रतिनिधित्व )
जनसंख्या के अनुपात में शासन प्रशासन में भागीदारी है
ब्राह्मण कहते हैं यह खैरात है ..... ओ.बी.सी. के लिखे पढे़ लोगों नें बाबा साहब द्वारा लिखा संविधान ब्राह्मणों की बातों में आकर पढा ही नहीं, इसलिए आज यह हालात है कि :-- 52% ओबीसी को 27% आरक्षण (प्रतिनिधित्व ) है, जबकि यह संविधान के विरोध में है, संविधान कहता है लोकतंत्र में जनसंख्या के हिसाब से प्रतिनिधित्व लोकतंत्र का प्राण है, इसलिए भारतीय लोकतंत्र में ओ.बी.सी. कि 52% शासन प्रशासन में भागीदारी होनी चाहिए | परन्तु आज आजादी के सत्तर साल बाद ब्राह्मणवादी सरकारों नें इसका non-implementation किया ओर जो हक अधिकार SC/ST को 1932 में ही मिल गये थे वह हक अधिकार ब्राह्मणों नें ओबीसी को 1992 मतलब साठ साल बाद मिले | उगमें भी असंवैधानिक क्रिमीलेयर लगा कर ओबीसी के लोगों के साथ षडयंत्र किया और आज ओबीसी का शासन प्रशासन में केवल 5% प्रतिनिधित्व है |आज ओबीसी का grade A & B कि सर्विसेज में सही प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण बडे़ लेवल पर धीरे-धीरे ओ.बी.सी. कि समस्याओं का निर्माण राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है | यह ओ.बी.सी. के लिखे पढे लोगों को समझ नहीं आता है, ब्राह्मणों नें हिन्दुत्व के नाम पर ब्राह्मणों का राज स्थापित किया और ओ.बी.सी. को रोज नये नये षड्यंत्र करके ओ.बी.सी. के लिखे-पढे लोगों को हिन्दू बनाया
और सारे हक अधिकार छिन कर देश की विधायिका,
कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया पर कब्जा किया और अब कहते हैं --यह हिन्दु धर्म नहीं है परम्परा है, मतलब यह परम्परा मनुस्मृति अनुसार ब्राह्मण धर्म है
और ब्राह्मण धर्म का विधान लागू किया और शूद्रों के सारे हक अधिकार छीने |
38. यह है हकीकत है, अब ओबीसी के लिखे-पढे़ लोगों से निवेदन है कि वह ब्राह्मणों के द्वारा हिन्दू नाम के षड्यंत्र से बाहर निकलें औरअपने आस-पास नजर दौड़ायें ...स्वतंत्र सोच रखकर संविधान में दिये आर्टिकल 340 को समझें और 'काका कालेलकर कमीशन' क्या था वह जाने।
काका कालेलकर कमीशन क्यों लागू नहीं हुआ वह जानें, मंडल कमीशन क्या है वह समझें, मंडल कमीशन क्यों इतने बरसों तक लागू नहीं हुआ वह जानने की कोशिश करें। ओ.बी.सी. को जब मंडल कमीशन लागू हो रहा था तो उसके विरोध में किन लोगों नें राष्ट्रीय लेबल पर विरोध किया उनको जाने समझें फिर भले ही भाईचारा निभाना।
39. ओ.बी.सी. को प्रतिनिधित्व SC/ST की तरह ही मिला है, वही संविधान है, वही कानून है फिर SC/ST की जनसंख्या तो 22.5% है और सच यह-SC/ST को 22.5% प्रतिनिधित्व है, परन्तु ओ.बी.सी. कि जनसंख्या 52% है और 52% ओ.बी.सी. को 52% प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है ?
40. उसमें भी षड्यंत्र करके असंवैधानिक क्रीमीलेयर लगा दी, वह संविधान के विरोध में है -- क्योंकि यह प्रतिनिधित्व का अधिकार मौलिक अधिकार है | वह शासन प्रशासन में SC/ST/OBC को सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन की वजह से मिला है ना कि आर्थिक पिछड़े पन की वजह से।
41. सन 1992 में मंडल कमीशन लागू होने के बाद भी उसका non- implementation किया और आज ओबीसी को आज 2016 तक 52% होने के बावजूद 5% ही प्रतिनिधित्व मिला है तो ओबीसी को यह समझना जरूरी है कि शासन प्रशासन किन लोगों के कब्जे में है ?
कौन लोग हैं जो ओ.बी.सी. के लोगों के हक अधिकार छिन रहे हैं ?
42. इसलिए ओ.बी.सी. के लिखे-पढे लोगों से निवेदन है कि ब्राह्मणों के हिन्दू नाम के षड्यंत्र से निकल कर पढे़-लिखे बनें | स्वतंत्र सोच विकसित करें व अपनी आनेवाली पीढ़ियों को इस षड्यंत्र में ना झोंके और उनके हक अधिकार सुरक्षित करने की लड़ाई लड़ें।
42. इस लिंक पर जो विडियो है उसको यू-टयूब पर जाकर देखें यह ओ.बी.सी. के विरोध में हो रहे षड्यंत्र को बताता है | देखने के बाद, पढने के बाद भी समझ नहीं आये तो ओ.बी.सी. के लोगों से निवेदन है कि कम से कम एक हजार लोगों को भेजें शायद किसी जागरूक को समझ आये।
43. 'ब्राह्मण जज पर रोक' पर ब्रिटिश लोगों ने क्यों रोक लगायी थी ? :--'कलकत्ता हाईकोर्ट में ब्रिटिश काल में प्रीवी काउन्सिल' हुआ करती थी। अंग्रेजों ने नियम बनाया था कि कोई भी ब्राह्मण प्रीवी काउन्सिल का चेयरमैन नहीं बन सकता। क्यों नहीं हो सकता? ..... अंग्रेजों ने लिखा है कि ब्राह्मणों के पास न्यायिक चरित्र नहीं होता है। न्यायिक चरित्र का मतलब है निष्पक्षता का भाव। अर्थात निष्पक्ष रहकर जब एक न्यायाधीश दोनों पक्षों की दलीलें सुनता है, सभी दस्तावेजों को देख कर कानून और न्याय के सिद्धान्त के अनुसार अपनी मनमानी न करते हुए जो सही है उसे न्याय दे, उसे न्यायिक चरित्र कहते है। ऐसा न्यायिक चरित्र ब्राह्मणों में नहीं है, यह अंग्रेजों का कहना था। आज की तारीख में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लगभग 600 न्यायाधीश हैं, उनमें 582 न्यायाधिशों की सीटें ब्राह्मण तथा ऊँची जाति के लोगों के कब्जे में हैं। जब तक न्यायपालिका को प्रतिनिधिक नहीं बनाया जाता, तब तक हमें न्याय मिलने वाला नहीं है। इसलिए न्यायपालिका को प्रतिनिधिक बनाने की आवश्यकता है।'
44. भारत की न्यायपालिका पर हिन्दुओं का नहीं बल्कि ब्राह्मणों का कब्जा है, और ब्रिटिश लोग कहते थे कि, "BRAHMINS DON'T HAVE A JUDICIAL CHARACTER" यानि "ब्राह्मण का चरित्र न्यायिक नहीं होता, वो हर फैसला अपने जातिवादी हितों को ध्यान में रखकर देता है।"
45. सुप्रीम कोर्ट में बैठे ब्राह्मण जज हर फैसला OBC, SC, ST, मुसलमान, सिख, ईसाई और बौद्धों के खिलाफ ही देते हैं....।
46. न्यायाधीशों की नियुक्ति में कॉलेजियम का सिद्धान्त दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देशों में नहीं है, वह केवल मात्र भारत वर्ष में ही है। इसका कारण यह है कि अल्पमत वाले ब्राह्मण लोग बहुमत वाले बहुजन लोगों पर अपना नियंत्रण बनाये रखना चाहते हैं। जो बहुमत है वह अपने हक-अधिकारों के प्रति धीरे-धीरे जागृत हो रहा है, इससे ब्राह्मणों के लिए संकट खड़ा हो रहा है। इस संकट से बचने के लिए न्यायपालिका मे बैठे ब्राह्मण, न्यायपालिका का इस्तेमाल एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. और अल्पसंख्यक के विरुद्ध कर रहे हैं।
47. भारतीय हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट मे 80% जज ब्राह्मण जाति से हैं, और ब्राह्मण कभी न्याय का पर्याय नहीं हो सकता क्योंकि ये उसके DNA में ही नहीं है...।
हमारे लोगों को विस्तार से समझाने की सख्त जरूरत है इसलिए ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करे
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