अपने गांव में पांचवी तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं छठी में एडमिशन के लिए हाईस्कूल पहुंचा। मेरे पिता मुझे वहां लेकर गए। हम स्कूल के हेडमास्टर से मिले।
हेडमास्टर ने मेरे पिता से कहा कि इस बच्चे की सारी फीस डॉ. बी. आर. अम्बेडकर देंगे।
हेडमास्टर ने यह भी बताया कि बच्चे को हर साल 23 रुपए की स्कॉलरशिप भी मिलेगी। यह स्कॉलरशिप भी डॉ. आंबेडकर देंगे।
बाहर आकर मेरे पिता ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने तुम्हें गोद लिया है। उस दिन से मैं डॉ. आंबेडकर का दत्तक पुत्र हूं। देश के सभी मूलनिवासी छात्र डॉ. अम्बेडकर के दत्तक बच्चे हैं।