Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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तन की अस्वस्थता उतनी घातक नहीं जितनी कि मन की अस्वस्थता है।

तन से अस्वस्थ व्यक्ति केवल अपने को व ज्यादा से ज्यादा अपनों को ही दुखी करता है।

मगर मन से अस्वस्थ व्यक्ति स्वयं को, परिवार को, समाज को और अपने सम्पर्क में आने वाले सभी को कष्ट देता है।

तन का रोग मिटाना कदाचित संभव भी है मगर मन का रोग मिटाना असम्भव तो नहीं कठिन जरूर है।

तन का रोगी तो रोग को स्वीकार कर लेता है लेकिन मन का रोगी कभी भी रोग को स्वीकार नहीं करता है।

अगर मन के रोगी ने ये मान लिया कि गोबर ही गणेश हैं, ...तो है।

और जहाँ रोग की स्वीकारोक्ति ही नहीं वहाँ समाधान कैसे सम्भव हो सकता है।

दूसरों की उन्नति से जलन, दूसरों की खुशियों से कष्ट, दूसरों के प्रयासों से चिन्ता, अपनी उपलब्धियों का अहंकार यह सब मानसिक अस्वस्थता के लक्षण हैं।

बुद्धम्, धम्मम् और संघम् शरणम् गच्छामि ही इस बीमारी का इलाज है।