आज स्कूल से छुट्टी लेकर बैंक जाना हैं पूजा को इसलिए सुबह जल्दी ही उठ गयी वो। पति के आफिस जाने के कुछ देर बाद पूजा भी घर से निकल ली.. ऊफ कितनी गर्मी है मार्च मे ये हाल है तो मई - जून मे क्या होगा भुनभुनाते हुये पूजा ने छतरी तान ली.. सूरज सर पर ही आकर बैठ गया हो मानो एेसा लग रहा था। बैंक पास मे ही है तो वो पैदल ही चल पड़ी.. चलते चलते पूजा जैसे कई जिन्दगी अपने साथ देखते हुए चल रही थी.. वो अकेली कहा है इस राह में.. वो औरत जो इस कड़कड़ाती धूप में 8 महीने का बच्चा साथ लिए.. फल बेच रही हैं वो भी तो है.. वो जूते सिलने वाले बाबा जो लगभग 60-65 वर्ष की उम्र पार कर चुके होंगे.. गर्मी की परवाह किए बगैर अपने काम में जुटे हैं.. वो बर्फ बेचने वाला नौजवान.... ना जाने कितनी ज़िन्दगीयाँ उसके साथ चल रही थी.. जिनके कष्ट को वो महसूस कर रही थी.. अकेली कहा है वो इस राह में.. ऋषभ भी फालतू में ही कह रहे थे.. छुट्टी ले लूंगा तो मेरे साथ चलना.. अकेली मत जाना.. लेकिन उन्हे क्या पता कि वो अकेली नहीं है। काश वो उसकी आँखों से दुनिया देख पाते खैर.. ना चाहते हुए भी पूजा ने उस फल वाली से फल बिना किसी मोलभाव के खरीद लिया.. हालाकि इसकी जरूरत नहीं थी घर में... कल ही तो ऋषभ लाये थे, ऋषभ होते तो कहते जाओ चप्पल भी सिलवा लो टूटा नही है तो क्या हुआ.. ऐसे ही कमेन्ट करते थे ऋषभ उसकी इन आदतों पर.. लेकिन उन्होंने कभी माना नहीं किया किसी चीज़ के लिए.. बल्कि उसने तो शादी के प्रपोजल में भी.. N. G. O खोलने के सपने के बारे में ऋषभ को बताया था और कहा था कि यदि वो मेरे बात से सहमत हो तभी शादी करे नही तो माना कर दे, हालांकि ये बातें केवल पूजा और ऋषभ के बीच चोरी छिपे फेसबुक चैटिंग में ही हुई थी.. परिवार वालों को मेरे इस प्रपोजल के बारे में जानकारी नहीं थी.. अरेंज मैरिज मे एक लड़की प्रस्ताव रखे.. ये बात मध्यम वर्गीय परिवार को हजम ना होती और शादी टूट जाती लेकिन पूजा के प्रिय पतिदेव ने इस प्रस्ताव में अपनी 100% स्वीकृति ही नहीं दी अपितु घर में किसी को बताया भी नहीं.. बस यही बात पूजा को ऋषभ के अन्दर सबसे अच्छी लगी.. इन्ही बातो को याद करते हुए उसके होठों पर मुस्कान आ गई और बैंक भी.. अन्दर जाने मे बहुत मशक्कत करना पड़ा उसे क्योकि नोटबंदी का टाइम चल रहा था.. खैर वो लाइन में लग गई.. थोड़ी देर बाद उसी आफिस का चपरासी उसके पास आया और बोला कि आपको मैनेजर साहिबा अन्दर बुला रही हैं.. पूजा ने सोचा किसी और को बोला होगा.. लेकिन जब उसने उसे फिर से कहा कि आपको मैडम बुला रही हैं.. पूजा को समझ में नहीं आ रहा था कि क्यो बुला रही हैं वो?? .. मन में हजारो शंका लिए पूजा केबिन में गई.. कोई नई मैनेजर थी वो.. शायद पहली पोस्टिंग हो उम्र 27 के आस पास रही होगी.. जाते ही उसने पूजा को बैठने के लिए कहा और बोली पूजा शर्मा.. S. P convent school am right.. सुन के वो द़ग रह गई उसे कैसे पता ये सब फिर वो खड़ी हो गई और बोली मै नीलम याद करो कहते हुए वो पूजा के गले लग गई और उसके आँखो से आँसू बहने लगे... उसके इतना कहते ही पूजा के सामने वही नीलम नजर आ रही थी जो उसकी क्लास में सबसे गरीब घर की थी.. उसके पिता उसी स्कूल का रिक्शा चलाते थे.. एक दिन एक रोड एक्सिडेंट में उनकी मौत हो गई थी.. उनके मौत के बाद.. नीलम का स्कूल आना बंद हो गया था और वो अपनी माँ के साथ घरो में बर्तन धुलने का काम करने लगी थी.. एक महीने तक जब वो स्कूल नही आयी तब वो उसके घर गई थी और उसको दूसरे दिन स्कूल आने के लिए बोला था उसने, तो उसकी माँ ने कहा बेटा वो अब स्कूल नही जा सकती क्योंकि तीन महीने से उसकी फीस जमा ना होने के कारण उसका नाम कट गया है.. ये सुनते ही पूजा बुझे मन से घर आ गई, रात भर वो सो नही पायी.. नीलू का चेहरा घूम रहा था बस उसकी आँखों में.. क्या वो अब कभी स्कूल नही जा पायेगी??? क्या घरो में काम करना ही उसका भविष्य है??? मन में कुछ सवालो को लेकर पूजा ने सुबह का इंतजार किया.. ये सुबह सचमुच नीलू के लिए एक नया सवेरा थी.. पूजा ने अपने गुल्लक तोड़ा उसमे से पैसे लिए और चली गई स्कूल वहाँ हर क्लास में जाकर उसने नीलू के लिए पैसे इकट्ठे किए.. बच्चों की लगन देखकर नीलू के लिए टीचर्स भी आगे आ गये.. नीलू के तीन महीनों की फीस इकट्ठी हो गई थी.. उसको एडमीशन मिल गया बाद मे स्कूल पैनल ने उसकी फीस साल भर की माफ कर दी थी.. साल भर के बाद नीलू ने सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया था.. क्लास के लास्ट दिन नीलू भारी मन से हम लोगों से जुदा हो रही थी.. तब जातेे-2 पूजा ने नीलू से कहा था कि नीलू पीछे मत लौटना.. नया सवेरा तुम्हारा अभी और इंतजार कर रहा है..