चलो फिर किसी रोते बच्चे को हँसाया जाये
थोड़ी सी उम्मीद उमंगों की देकर उन्हे उनके बचपन से मिलवाया जाये खुशियों की दुकान से कुछ खुशिया उधार लेकर
कैद बचपन को आजाद कर
उन्हे हौसलो की
एक उड़ान भरवाया जाये
किसी भूखे पेट को खाना खिलाया जाये
चलो फिर किसी रोते
बच्चे को हँसाया जाये..
उठते हैं जो हाथ मजदूरी
के लिए उन
कोमल से हाथो मे..
चंद किताबे देकर
उन्हें टिमटिमाता
ध्रुव तारा बनाया जाये
तंगहाली की दुनिया से
निकाल कर
खिलता कमल बना कर
उनके अंधेरी सी दुनिया मे
चाँद सूरज उगाया जाये
एक नई रोशनी
एक नई किरण
एक एेसा जन्नत बनाया जाये
चलो किसी फिर किसी रोते बच्चे
को हँसाया जाये..