आज सबसे बड़ा प्रश्न उठता है लड़कियों की सुरक्षा पर, लड़कियां आज अपने ही देश में, शहर में, घर में, यहां तक कि मंदिरों में भी सुरक्षित नहीं हैं| कहाँ जा रहा है मेरा भारत पता नहीं| सोचा था ये मेरा घर है, देश है पर इस पुरुषवादी घर में पुरुषों को आरक्षण, जातिवाद और पोर्न से फुर्सत नहीं| अब कहाँ हैं बजरंग दल, करणी सेना जिनको अपने देश की सभ्यता और महिलाओं की बहुत फ़िक्र रहती है| अब क्यों नहीं कोई विरोध में रैली निकाल रहे समाज के रखवाले, कि कोई नया नियम बनाया जाये जिससे कि लोग लड़कियों की तरफ गलत निगाह से देखने में भी डरें| नहीं, इसके लिए आज कोई आवाज नहीं उठाएगा क्योंकि ये किसी की कुल देवी नहीं है जिसको कोई पूजे| महिलाएं चाहे वो बच्ची हो २ साल की चाहे वो बूढी हो ८० साल की, वो सुरक्षित हैं ही नहीं, क्योकि इस समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जिनमे इंसानियत है ही नहीं| समाज के लोग देवियों की पूजा करते हैं , माँ दुर्गा की जो उनकी रक्षा करें, लक्ष्मी जी जो उनको धन दें, सरस्वती जी जो उनको बुद्धि दें, पर जो माँ इंसानो को जन्म देती है लोग उसका ही सम्मान करना भूल जाते हैं| भगवान इस समाज के लोगों को बुद्धि दें की वो दिखावा छोड़ के असलियत का सामना करना सीखें और लड़कियों की इज्जत करना सीखें|