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क्या होता है जब ऊर्जा आज्ञा चक्र से आगे गमन करती है संख्या : 13 (क) :आज्ञा चक्र एक बीच का केंद्र बिंदु है जहाँ एक ओर भौतिक संसार और दूसरी ओर परलोलिक जगत ,,(परमात्मा का जगत) है,,, आज्ञा चक्र तक भौतिक संसार की सीमा है आज्ञा चक्र तक पहुचा दिव्य पुरुष भी अनेक दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण हो जाता है तथा संसार के अश्म्भव कार्यो को अंजाम दे सकता है आज्ञा चक्र से आप आसानी से भौतिक संसार में वापस आ सकते हैं,,, लेकिन इसके बाद आज्ञा चक्र से आगे जब ऊर्जा का गमन होता है तो वो ब्रह्म रन्ध्र में पहुच जाती है ऊर्जा के यहाँ पहुचने पर इंसान को संसार की याद नही रह जाती,, क्योकि जहाँ ऊर्जा पहुचती है इंसान का ध्यान भी वही होता ,,,मतलब जहाँ जिस चक्र में ऊर्जा पहुचती है केवल उसी जगह की याद इंसान को रहती है,,,( जैसा कि मैने शिओम्म संख्या 12 में उल्लेख किया है,) यही कारण है कि जब किसी दिव्य पुरुष की ऊर्जा आज्ञा चक्र से आगे गमन कर जाय तो संसार की याद न रह पाने के कारण वो इस संसार में मुश्किल से ही वापस आता है,,या बहुत देर बाद वापस आता है या बहुत लंबे समय के लिये परलोलिक जगत में (परमात्मा के जगत) में चला जाता है,,यही समाधि की अवस्था है ,,,फिर उसके ध्यान या होश या याद को इस भौतिक संसार में लाना पड़ता है तभी वो इस भौतिक संसार में वापस आता है,,,आज्ञा चक्र तक आप अपना प्रयोग, खुद कर सकते है लेकिन जब आप अपनी ऊर्जा को आज्ञा चक्र से आगे ले जाने का प्रयोग कर रहे हो तो किसी व्यक्ति को अवश्य ही अपने आप रक्खे ताकि वो आपको इस जगत में वापस लाने में सहयोगी हो सके,,,,क्योकि यदि आप ध्यान की गहराई में उतर गए यदि आपकी ऊर्जा आज्ञा चक्र से आगे निकल गयी ओर आगे निकल गयी ,,,यदि ऊर्जा ठीक दिशा में आगे बढ़ती चली जाय तो ऐसी दिव्य पुरुष की शीघ्र ही समाधि लग जाती,,,ऐसी स्थिति में जब तक आपको कोई स्पर्श न करें,, जब तक आपको कोई जगाये नही आप वापस नही आयेंगे,,,, लेकिन जब वापस आएंगे तो आप एक नए ही जन्म के साथ वापस आयेंगे,, संसार की सर्व श्रेठ धरोहर के साथ वापस आएंगे,,,अब कोई दिव्य पुरुष एक नये जन्म के साथ वापस आएगा,,आप ,,आप ,नही रहेंगें,,,, समाधि में गया वो कोई और लौटकर आया वो कोई और होगा,,एक आंतरिक दिव्य परिवर्तन के साथ वापस आयेंगे,,,,,,
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