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अज्ञानीइस तरह के मनुष्यों से ये संसार भरा हुआ है जिन्हें ज्ञान तो है मगर यही नहीं पता कि उन्हें ज्ञान क्यों प्राप्त है और उस ज्ञान को उन्हें करना क्या है ! वे केवल तरह तरह के शास्त्र और विद्याओं को पढ़कर बस तर्क करते हैं और केवल तथ्यों की ही तरफ ध्यान देते हैं। ऐसे लोग व्यवहार में प्राप्त किये ज्ञान को कभी नहीं लाते और यही लोग सबसे ज्यादा अहंकारी और क्रूर हो जाते हैं। केवल दूसरों से अधिक ज्ञान प्राप्त करना ही ज्ञानप्राप्ति की श्रेष्ठता को सिद्ध नहीं करता बल्कि हमनें किस तरह का ज्ञान प्राप्त किया है और कहां उसका उपयोग हुआ है ये मायने रखता है। ज्ञान को तराजू में तोलने से अच्छा है पानी में घोलकर देखा जाए तभी उसकी असली गुणवत्ता पता चलेगी।ये कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया ऐसे लोगों से भरी हुई है और ये लोग ही इस दुनिया को अपना मानकर इसपर स्वामित्व जताते हैं।मूढ़ व्यक्ति वही है जिसे ज्ञान की कोई परवाह नहीं है। उसे बस इतना पता है कि कैसे जीवन काटना है , कैसे धन और ऐश्वर्य कमाना है और फिर मार जाना है। ऐसे लोगों का ही जीवन सबसे अधिक व्यर्थ जाता है क्योंकि न तो ये खुद के बारे में जानते हैं और न ही ये जानने की कोशिश करते हैं कि इनका नियंता कौन है ? इन्हें तो ईश्वर पर भी विश्वास नहीं होता और आध्यात्म से तो इनका दूर दूर का नाता नहीं होता । ऐसे लोग बस केवल दूसरों को देखकर और उनसे परस्पर प्रतिद्वंदिता के आधार पर पूरा जीवन निकाल देते हैं।अष्टावक्र के अनुसार सबसे श्रेष्ठ ज्ञानी होता है उसके बाद मुमुक्षु , उसके बाद अज्ञानी और सबसे निम्न होता है मूढ़ व्यक्ति।