जिस प्रकार हर महिला शोषित नही होती
उसी प्रकार हर पुरुष बदमाश नही होता है
पुरुष हमारे समाज का आधार है जहां महिला एवं पुरुष को मिल-जुलकर हर कार्य करना चाहिए और महिलाओं को हर तरह से संरक्षित करने का अधिकार मिला हुआ है उसी प्रकार अच्छे एवं सभ्य पुरूषों को भी संरक्षित किया जाना जरूरी है ताकि वह भी सम्मानित जीवन बिता सकें और अपने घर परिवार में अनावश्यक शोषण का शिकार न बनेंं। जरुरी नहीं है कि जो हमें आंखों से दिखाई देता है वही सत्य हो कई बार जो हमारी आंखें देख रही होती हैं वह भी सच नहीं होता। हम सभी न्यायाधीश नहीं हैं यह काम अदालतों का है । समाज को समान व्यवहार करते हुए पुरुष एवं महिला को उचित दर्जा़ देने की जरूरत है। यह मेरे निजी विचार है कि महिलाओं की भांति पुरूषों को भी तनाव से बचाने के लिए उनके साथ अच्छा व्यवहार करने की ज़रूरत है।
जिस प्रकार हर महिला शोषित नहीं होती उसी प्रकार हर पुरुष भी बदमाश नहीं होता है। हर समस्या को उचित दृष्टिकोण अपनाकर समाधान ढूंढे जाने की बेहद ज़रूरत है ताकि हम एक अच्छा समाज बना सकें और अपने देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाएं ना की पुरुष महिला के बीच का अंतर बढ़ाते जाएं। अगर दोनों के बीच की खाई इतनी बढ़ जाएगी तो यह दोनों ही एक दूसरे के सहयोगी बनने के बजाये एक दूसरे के आमने सामने खड़े होंंगे।