मंगलवार 25.09.2018
भाद्रपद शुक्ल पक्ष 15
विक्रम सम्वत् 2075
श्री वीर निर्वाण सम्वत् 2544
*आज पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्मदिवस है*
आज एक किस्सा...
हमने पुष्प से कहा..! कल तुम मुरझा जाओगे फिर क्यों मुस्कुराते हो ? व्यर्थ में यह ताजगी किसलिए लुटाते हो ?
फूल चुप रहा-
इतने में एक तितली आई। क्षण भर आनन्द लिया, उड़ गई।
एक भौंरा आया गाना सुनाया, चला गया। सुगन्ध बटोरी, आगे बढ़ गया।
खेलते हुए एक बालक ने स्पर्श सुख लिया, रूप-लावण्य फूल की सुन्दरता को निहारा, फिर खेलने लग गया ।
तब फूल बोला - मित्र् , क्षण भर को ही सही मेरे जीवन ने कितनों को सुख दिया है क्या तुमने कभी ऐसा किया है ?
कल की चिन्ता में आज के आनन्द में विराम क्यों करूँ? माटी ने जो रूप, रस, गंध और रंग दिया है, उसे बदनाम क्यों करूँ? मैं हँसता हूँ क्योंकि हँसना मुझे आता है, खिलना मुझे सुहाता है। मैं मुरझा गया तो क्या..... कल फिर एक नया फूल खिलेगा... न कभी मुस्कान रुकी है, न रूकेगी।
जीवन तो एक सिलसिला है। वह इसी तरह चलेगा, इसी तरह चलेगा। जो आपको मिला है उस में खुश रहिये और भगवान का शुक्रिया कीजिए क्योंकि आप जो जीवन देख रहे है वह जीवन कई लोगों ने देखा तक नहीं है।
खुश रहिये, मुस्कुराते रहिये और अपनों को भी खुश रखिये.....
अज्ञात
*इतिहास में आज*
1524 : वास्कोडिगामा आखिरी बार वायसराय बन कर भारत आया।
*सभी मित्रों को सपरिवार सादर जयजिनेंद्र, शुभप्रभात और नमस्कार। आपका दिन मंगलमय हो।*