कब से शुरू हुई
शास्त्रों की रचना ?
क्या उससे पहले नहीं थी
कोई व्यवस्था
ज्ञान प्राप्त करने की
अथवा कैसे करते होंगे
उस समय ज्ञान प्राप्त
बिना किसी लेखन आदि के ??
शंका यही उठती मन में
जब तीर्थंकरों के सामने थी
इतनी अधिक सम्पन्नता
तो क्या नहीं थी उस समय
अंक और लिपि के लेखन की विद्या ???...
अरे भाई !
लिपि और अंक का ज्ञान तो
खुद आदि तीर्थंकर ऋषभनाथ ने
दिया था अपनी दोनों पुर्त्रियों
ब्राह्मी और सुंदरी को
इसलिए लेखन तो
रहा आदि से ही
फिर भी
शास्त्रों का लेखन
शुरू हुआ ईसा पूर्व
पहली शताब्दी से
भूतबलि और पुष्पदंत की
कथा से तो परिचित है हम सभी
उससे पहले
ज्ञानार्जन चलता था
गुरु से शिष्य की परम्परा से
मौखिक रूप से
उससे पहले की व्यवस्था का
नहीं मिलता कोई इतिहास
अथवा कोई प्रमाण
कैसे चलता था लेखन आदि
फिर भी
क्षयोपशम होता था
इतना अधिक
जो याद रह जाता था तुरंत
धीरे धीरे होने लगा ह्रास
व्यक्ति के स्मृति का
तो रचे गए शास्त्र
जो परंपरा चल रही आजतक
एतिहासिक दृष्टि से
नहीं है कोई प्रमाण उपलब्ध
किसी भी धर्म में
जो भी ग्रन्थ / लेख आदि
उपलब्ध है आज
है सभी वो
उसके बाद के ....
इतना ही जानता मैं तो
इस विषय में !
जय जिनेन्द्र !!
अनिल जैन "राजधानी"
श्रुत संवर्धक
३१.१.२०२०