पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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जिस शब्द का उच्चारण करनेसे जिव्हा मधुर हो जाती है , आँखों मे चमक उत्पन्न हो जाती है , आकाश मे काले बादल एकत्रित होने के बाद मयूर नृत्य करना प्रारंभ करता है उसी प्रकार मानव का मन नृत्य करना प्रारंभ करता है , आम्र वृक्ष को मंजरी आनेसे कोकील पक्षी गुंजन करता है उसी प्रकार मानव का मन गुंजन करता है । जिस शब्द का उच्चारण करनेसे मन आनंदीत होता है शांत होता है । ऐसा एक ही शब्द है वात्सल्य । वात्सल्य शुभ , धवल , शुभ्र , सफ़ेद , शुक्ल है । मानव की हृदय रुपी भूमी मे जब वात्सल्य का बीज बोया जाता है तब मानव से माहामानव बननेका मार्ग प्रारंभ हो जाता है । मानव के हृदय रुपी हिमालय से जब वात्सल्य की पवित्र गंगा का उगम होता है तब मनव की दृष्टी पवित्र एवं निर्मल हो जाती है तब संपूर्ण प्राणी मात्रा के प्रती मैत्री भाव उत्पन्न हो जाता है । जब मानव मन मे मैत्री भाव उत्पन्न होता है तब उसके मुख से कठोर शब्द नहीं निकलते वो हीत मित और प्रिय वचनोका ही प्रयोग करता है । पर की पीड़ा मे अपनी करुणा की परिक्षा होती है और अपनी पीड़ा सहने मे अपनी समता की परिक्षा होती है । करुणा हृदय का संदन है दिलकी धड़कन है । हृदय के अभाव मे मनुष्य मृत है । वीणा से संगित उसके तारो से पैदा होता है और मनुष्य के अंदर संगित करुणा से पैदा होता है । जिस जीव के पास से हृदय खो जाता है उसका जीवन क्षीण हो जाता है फिर उसके पास जो भी सत्य है , जोभी श्रेष्ठ है जो भी उत्तम है वह सब मर जाता है वीलीन हो जाता है । करुणा के आभाव मे परमात्मा का द्वार मिलता नहीं , मोह का ताला खुलता नहीं इसी लीए करुणा प्रर्थना है , प्रभु प्राप्ति का मार्ग है करुणा के अभाव मे प्रार्थना पूजा ज़प तप साधना सब झूठी है ।वात्सल्य जीवन का देवदूत है । भगवान महावीर स्वमी ने दया वात्सल्य का उपदेश मानवता को दिया बुद्धा ने करुणा का पाठ शिखाया और जीजस ने प्रेम ही जीवन है ऐसा कहा है । जब मनव जीवन मे दया वात्सल्य , करुणा और प्रेम इस त्रिवेणी का मिलन हो जाता है वहाँ मानव का जीवन पवित्र हो जाता है ।जब मनव स्नेह के पाशो को छेद कर मोह रुपी अर्गला को तोड़कर सम्यक् चारित्र से युक्त होता है तभी वह शुर वीर साधक मोक्ष मार्ग मे स्थित हो जाता है ।भगवान के मंदिर मे भगवान से मिलने नहीं स्वयं भगवान बनने के लिए आवो ।