चाहत बस इतनी है
तेरा रुप मेरी निगाहों में हो,,,,
तू हो ना हो सामने
तेरा अक्स मेरी पनाहों में हो,,,,
गढ़ा है रुप मैंने तेरा
कि खुद में तू खुद ना हो
तू सिर्फ मेरे ,और मेरे अहसास में हो,,,,,
तू मुझसे मिला कर, मेरा बनके
हकीकत ना सही, खयाल ही सही
वो तेरा ना सही, मेरा ही सही
तेरा अपना वजूद, मेरे वजूद में हो,,,,
मेरे अल्फाज़ बस यहीं रह जायेंगे
पढ़ेगा जब भी तू मुझे
आँखों में नमी ले आएंगे
वो दिन, वो रात इतनी जल्दी ना हो
वक़्त की ठहरी हँसी का
आगाज़ इतनी जल्दी ना हो,,,,,
#अब_चाहत बस इतनी है
तेरी कहानी का हाशिया
मेरी ज़िंदगी की किताब में हो,,,,,
#तू_हो_ना_हो_सामने
तेरा अक्स मेरी पनाहों में हो,,,,