भाइयों आज ऐसी घटना की न्यूज मिली कि मैं भुचक्की रह गई। जब मैं आपको ये बात बताउंगी तो आप भी भुचक्के हो जाओगे।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के पर भीमगढ़ गाँव के पास पुरातत्व विभाग ने खुदाई की तो उन्हें वहां एक भीमवाहन मिला। ये भीमवाहन दलितों के पसीने से चलता था जिससे प्रदुषण भी नहीं होता था। वर्तमान मनुवादी सरकारों में दलितों के पसीने को कोई इज्जत नहीं दी जिसके कारण प्रदुषण और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ गया।
इससे पता चलता है कि दलित समाज बहुत पहले से विकसित था। दलित लोग सदियों पहले से भीमवाहन जैसे चीजों का इस्तेमाल करते थे अभी तो 40 फ़ीट की खुदाई में ही भीमवाहन मिल गया।
ये मनुवादी सरकार आगे खुदाई नहीं करना चाहती क्योंकि ये जानती है कि और नीचे खुदाई करने से भीमघाटी सभ्यता का पता चलेगा।
भीमघाटी सभ्यता सबसे पुरानी सभ्यता थी। भीमघाटी के लोगों ने मूर्तियां बनाने का आविष्कार किया था.... उसी की नक़ल कर के ये मनुवादी आज कहीं सरदार पटेल तो कहीं किसी की मूर्तियां बना रहे हैं।
भीमघाटी सभ्यता के लोगों ने सबसे पहले हाथी से ट्रेन खिंचवाया था और भीमपावर में इंजन की ताकत नापते थे लेकिन इन मनुवादियों ने भीमपावर को हॉर्सपावर में बदल दिया और सारी दुनिया को गलत जानकारी दी।
आपको पता है मेरे दलित भाइयों .... पुष्पक विमान सबसे पहले भीमघाटी सभ्यता के साइंटिस्ट बाबा साहब ने बनाया था लेकिन एक रावण नाम के मनुवादी ब्राह्मण ने बाबा साहब से झूठ बोल कर उनकी टेक्निक को चुरा लिया।
भीमघाटी के लोगों द्वारा बनाये टेलीविजन पर महाभारत के युद्ध का लाइव टेलीकास्ट देख कर संजय ने धृतराष्ट्र को सुनाया था और मनुवादियों ने अफवाह फैला दिया कि किसी मनुवादी ब्राह्मण ने दिव्य दृष्टि दिया है।
इन मनुवादियों की कितनी हरकतें मैं बताऊँ आपको मेरे भाइयों। इनके अत्याचारों के बारे में सुनकर मेरा रोम रोम ज्वाला से भर उठता है ।
लेकिन मैं हार नहीं मानूँगी। जब तक इन मनुवादियों की सारी सच्चाई दुनिया के सामने ना ला दूँ मैं चैन से नही बैठूंगी।