विश्वास नही होता ऐसे लोग है दुनियां में..............
अभी कुछ दिन पहले मैं भोपाल से ग्वालियर शताब्दी से जा रहा था,हुआ ये कि एक सिख लड़का जो मेरे अपोजिट बैठा था,शुरुआत से ही काफी परेशान लग रहा था,कोच में तैनात लेडी टी.टी.ई और उसके बीच बातचीत चल रही थी पहले मैंने कुछ ध्यान नही दिया,पर तभी लेडी ऑफिसर की तेज आवाज आई मैं तुम्हें अगले स्टॉप पर पुलिस के हवाले कर दूंगी,माजरा जाना तो पता चला कि लड़का बिना टिकट भोपाल से दिल्ली जा रहा है,उसका इंटरव्यू है उसे पहुंचना बेहद बेहद जरूरी है,घरवालों ने पैसे ट्रांसफर किये लेकिन वो भी अभी तक उसके खाते में नहीं पहुंचे यदि वो यात्रा जारी रखता है तो उसे पेनाल्टी में 3200रु भरने होंगे जो उसके पास नहीं थे,अगला स्टॉप आनेवाला था लड़का परेशान होने लगा था क्योंकि नियमानुसार उसे पुलिस के हवाले करना होगा,लेकिन तभी कुछ ऐसा अप्रत्याशित हुआ जो मेरी कल्पना से परे था,
एक नौजवान टी.सी.जो लेडी ऑफिसर के साथ था,उसने झट से पैसे निकालकर लड़के के हाथ में रख दिए और पेनाल्टी भर दी गयी लड़का बार बार सीट से उठ उठकर उसे धन्यवाद देता रहा,पर वह हल्की सी मुस्कान देता रहा,किसी ने कहा क्या गारण्टी है कि आपको ये वापस मिल जाएंगे,मुस्कुराते हुए बोला कोई फर्क नहीं पड़ता है,मैंने ये सोचकर मदद की है इसकी जगह कोई अपना होता तब भी क्या हम यही सोचते,हल्की सी मुस्कान देकर वो चला गया फिर दिखाई नहीं दिया शायद उसकी ड्यूटी वहीं तक की थी,
पर जाते जाते ये संदेश जरूर दे गया देश भ्रष्टाचार सूचकांक में चढ़े या फिसले इस बहस में पड़ने से ज्यादा जरूरी है उन उम्मीदों को कायम रखना,उन संभावनाओं को जिंदा रखना जिन्हें हासिल करके ही बदलाव लाया जा सकता,अभी बहुत कुछ बाकी है नथिंग हेज़ लॉस्ट,
फिर भी लोग पता नहीं क्यों घबराए हुए हैं,
जां निशार अख्तर साहब के शब्दों में कहूं-
इतने मायूस तो हालात नहीं,
लोग किस वास्ते घबराएं हैं......
एक बार फिर दिल से सलाम