संजीव जैन's Album: Wall Photos

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Good night friends

औरत सब संभाल लेती है

सिर्फ महसूस किया जा सकता है,

वो औरत दौड़ कर रसोई तक,
दूध बिखरने से पहले बचा लेती है,

समेटने के कामयाब मामूली लम्हों में,
बिखरे ख्वाबों का गम भुला देती है,

वक्त रहते रोटी जलने से बचा लेती है कितनी हसरतों की राख उडा देती है,

एक कप टूटने से पहले सम्हालती है,
टूटे हौसलों को मर्जी से गिरा देती हैं,

कपडों के दाग छुडा लेती सलीके से,
ताजा जख्मों के हरे दाग भुला देती है,

कैद करती अरमान भूलने की खातिर,
रसोई के बंद डिब्बों में सजा लेती है,

मेज कुर्सियों से गर्द साफ करती ,
चंद ख्वाबों पर धूल चढा लेती है,

सबके सांचे में ढालते अपनी जिंदगी का हुनर बर्तन धोते सिंक में बहा देती है,

कपडों की तह में लपेट कुछ शौक,
अलमारी में खामोशी से दबा देती है,

हां हर घर में एक औरत है जो बिखरने से पहले ही सब सम्हाल लेती है..!!