संजीव जैन's Album: Wall Photos

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एक कस्बे के होटल का छोटा सा कमरा ...!

विवाह की बात चलायी जा रही है
लडका-लडकी को एक दूसरे को जानने के लिये अकेला छोड दिया गया है!

बिना समय गँवाये लडके ने पहल कर दी है
मेरा परिवार मेरे लिये सब कुछ है
माँ को एक ऐसी बहू चाहिये
जो पढी लिखी हो
घर के काम में हुनरमंद हो
संस्कारी हो
सबका ख्याल रखे
उनके बेटे के साथ कदम से कदम मिलाकर चले !

परिवार पुराने ख्यालात का तो नहीं पर ये जरूर चाहता है
कि ऐसा कोई आये जो हमारे रीति रिवाज को अपना ले!

परिवार की महिलायें 'चश्मा' नहीं लगातीं हैं!

भगवान की कृपा से हमारे पास सब कुछ है
हमें आपसे कुछ नहीं चाहिये
बस लडकी घर को जोडकर रखने वाली चाहिये!

मेरी कोई विशेष पसंद नहीं है
बस मुझे समझने वाली चाहिये
थोडा बहुत देश-समाज की भी जानकारी रखती हो
हाँ लम्बे बाल और साडी वाली लडकियाँ अच्छी लगतीं हैं!

आपकी कोई इच्छा हो तो बताईये !

बहुत देर से मौन बैठी लडकी ने लाज का घूँघट हटाकर
स्वाभिमान की चूनर सिर पर रख ली है!

पूरे विश्वास से बोलना शुरू कर दिया है
मेरा परिवार मेरी ताकत है
बाबा को दामाद के रूप में ऐसा बेटा चाहिये
जो उनके हर सुख दुख में 'बिना अहसान' उनके साथ खडा रहे
बिटिया के साथ घर के काम में कुछ मदद भी करे
जिसे अपनी माँ और पत्नी के बीच 'पुल' बनना आता हो
और जो उनकी बेटी को अपने परिवार की 'केयर टेकर' बनाकर न ले जाये !

जीवनसाथी से बहुत उम्मीद तो नहीं
पर ऐसा कोई जो अपनी पत्नी को परिवार में सम्मान दिला पाये
'पठानी सूट' में बिना मूँछ-दाढी वाले लडके पसंद हैं!

अपने 'स्पैक्ट्स' को खुद से भी ज्यादा प्यार करती हूँ!
आप और हम पढे लिखे हैं
तो विवाह का खर्च आधा आधा दोनों परिवार उठायें
देश के विकास में ये भी एक पहल होनी चाहिये !
और हाँ.....
हर बात सिर झुकाकर मानते रहना संस्कारी होने की निशानी नहीं है!

लडका हकलाने लगा है!

लडकी कमरा छोडकर जा चुकी है
चारों तरफ सन्नाटा पसर गया है !

कहीं दूर सभ्यता का तराजू मंद मंद मुस्कुरा रहा है
आज सदियों बाद उसके दोनों पलडे बराबर जो आ गये हैं!!