"आज भी फोन नही किया! मैं बात ही नही करूंगी आज...!!
फोन करेंगे तो भी नही... कम से कम वेलेंटाइन डे पे कोई फूल ही भेज देते वाट्सएप पर... पर नहीं इन्हें कहाँ समय है हमारे लिए... पिछली बार तो मेरे द्वारा कढाई करके दिल बनाया हुए रुमाल से बन्दूक को घूंघट ओढाकर उसे चूमते हुए फोटो भेजी थी " जरा सी मुस्कान होठों पर उभर आई और फिर न जाने क्या सोचते हुए वो आतुरतावश अपनी सास को आवाज लगाकर पूछने वाली थी के आपके बेटे का फोन आया क्या...तभी याद आया कि ससुर जी घर पर है... तो मुन्ने को सुलाकर धीरे से अपने कमरे से निकल कर सासु माँ के कमरे की तरफ बढ़ी... तभी ससुर जी के कमरे में चल रही टीवी में एक सहमी सी पत्रकार कहती हुई सुनाई पड़ी, " इस वक्त एक बड़ी खबर आ रही है... पुलवामा में आतंकी हमले में कई सैनिकों के शहीद होने की बुरी खबर इस वक्त हम आपको सुना रहे हैं....." ये शब्द उसके कानों में पड़ने के बाद सबकुछ इस तरह सुन्न पड़ गया मानों उसके कानों में कोई ग्रेनेड फटा हो... वो बाहर ही दीवार पकड़ कर बैठ गयी...एक हथगोले का असर कम हुआ और धुंधलका छंटा तो ससुर जी के फोन के लाउडस्पीकर पर बार बार आवाज आ रही थी, "द नम्बर यू आर ट्राइंग टू कॉल इज आइदर स्विच ऑफ ओर आउट ऑफ द सर्विस एरिया..." उसकी जब भी उनसे बात होती तो गाहेबगाहे पुलवामा का नाम आ ही जाता था... फिर से आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा... थोड़ी देर बाद हिम्मत करके ससुरजी के कमरे का द्वार हल्का सा खोल दिया... वो इस तरफ पीठ करके बैठे कभी फोन तो कभी टीवी को देख रहे थे... तभी तीसरा विस्फोट हुआ... समाचार चैनल का लाइव संवाददाता घटनास्थल की रिपोर्ट दे रहा था और तभी उसकी नजर एक बन्दूक पर पड़ी जिस पर एक खून से सना सफेद रुमाल पड़ा था जिस पर दिल का निशान देखते ही वो धड़ाम से गिर पड़ी.....