ये सैनिक है तो हम है !
अपने जीवन को कुर्बान कर देने वाले,पल- प्रति-पल मौत के साये में बैठे रहने वाले, अपने घर परिवार से दूर नितांत निर्जन में कर्तव्य निर्वहन करने वाले जांवाज सैनिकों के लिए बस चंद शब्द, चंद वाक्य, चंद फूल, दो-चार मालाएं, दो-चार दीप और फिर उनकी शहादत को विस्मृत कर देना ।
बस! इतना सा ही तो दायित्व निभाते हैं हम । ये अपने आप में कितना आश्चर्यजनक है साथ ही विद्रूपता से भरा हुआ है कि जिन सैनिकों के चलते हम स्वतंत्रता का आनंद उठा रहे है उन्हीं सैनिकों को हमारा समाज न तो जीते-जी यथोचित सम्मान देता है और न ही उनकी शहादत के बाद।
हम सभी को एक साथ सोचना होगा निरंतर सोचते रहना होगा।
न सही प्रतिदिन तो माह में किसी एक दिन समस्त सैनिकों को पूरे सम्मान के साथ याद तो कर ही सकते हैं।
आइए संकल्पित हो, अपने देश के लिए अपने तिरंगे के लिए और उससे भी आगे आकर अपने जांवाज सैनिकों के लिए।।
जय हिन्द,जय हिन्द की सेना