संजीव जैन's Album: Wall Photos

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27/02/2019
स्वतंत्र भावाभिव्यक्ति
नव संदेश
प्रभात का सूरज भी ,सुनहरी रश्मियों संग
नव संदेशा लाया है ।
नवस्फूर्ति ,नव आशा ,नव जोश देखो लाया है ।

प्रेम प्यार की दुनियाँ में खोये थे जब मतवाले ,
धोखे से देखो राहू ने कैसा ग्रहण लगाया था।

कोख शिशु को देख भी न पाया वो बाप अभागा
नवब्याही ने सिंदूर मिटाया था जिसे अभी लगाया

बारह दिन का मौन रुदन ,निस्पंद रही वसुधा भी ,
निर्दोष जवानों के रक्त से सनी ,रो रही धरा भी ।

दूर हुइ जब ग्रहण ,तेरहवें दिन सूतक हटाया ।
निर्दोषों का रक्त दुश्मन को सबक सिखाने आया।

न्याय सूर्य का रथ चला ,सिर्फ आतंकी ढेर किये ,
मत समझो कमजोर हमें,बस सच की राह पर थे चले ।

शहादत को अब शर्मिंदा ,हम कभी नहीं होने देंगे ।
जब तक लहू दौड रहा नसों में ,तुझे नत नहीं होने देंगे।

जल रही जो ज्वाला आज हृदय में कैसे बुझाऊँ,
दुधमुँह बच्चे को कैसे उस शहीद बाप से मिलाऊँ।

नवशृँगार किये षोडसी तकती बाट पिया की
बिखरे सिंदूर ने कर दिया वो लाल गगन भी।
स्वरचित
मनोरमा जैन पाखी ,मध्यप्रदेश.