संजीव जैन's Album: Wall Photos

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विचित्र संसार.....
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रिश्ते बनते और बिगडते
हमने प्रतिपल देखे हैं
जो रिश्ते निस्वार्थ भाव के
वही टिके रह सकते हैं।

पर दुनियाँ तो है मतलव की
अपना स्वार्थ निकालेगी
अगर नहीं वह सिद्ध हुआ तो
पल भर में विसराएगी।

फूल खिलें ज्यों दिन उगता है
निशा समय मुरझा जाते
आए जो भी इस धरती पर
कभी नहीं वह रुक पाते।

सुख में साथी है जग सारा
दु:ख में कोई पास नहीं
यह संसार असार है जानो
किंचित भी विश्वास नहीं।

सुख-दु:ख तो हैं जीवन साथी
अपने क्रम से आते हैं
जो जैसा ही कर्म करेगा
वैसा ही फल पाते हैं।

दृढ निश्चय से करो साधना
जिनवाणी का करो मनन
अगर सुखी जीवन है जीना
'अखिल'बोध में रहो मगन।