संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 1,501 of 15,246 in Wall Photos

तुम वास्तव में मनुष्य उसी दिन बनोगे जिस दिन तुम अपने विकास के लिए जिम्मेदार बन जाओगे। जिस दिन वास्तव में एक मनुष्य बन जाओगे तुम उसी दिन निर्णय लोगे कि तुम्हें अपने जीवन का अर्थ सृजित करना है। तुम्हें एक कोरा कागज दिया गया है : तुम्हें उस पर अपने हस्ताक्षर करने होंगे, और तुम्हें उस पर अपने गीत लिखने होंगे। वहां गीत पहले से नहीं हैं। तुम ही वहां हो, उसकी सम्भावना है वहां—लेकिन गीत तो तुम्हें ही गाना और गुनगुनाना है, नृत्य तो तुम्हें ही करना है। नर्तक है वहां, लेकिन उस नर्तक के होने का क्या अर्थ है, यदि उसने अभी तक नृत्य किया ही नहीं? उसे नर्तक पुकारना भी अर्थहीन है क्योंकि जब तक वह नाचता नहीं, तुम उसे नर्तक कैसे कह सकते हो? जब तक एक बीज वृक्ष नहीं बन जाता, वह केवल एक नाम है, वह बीज है ही नहीं। और जब तक एक वृक्ष फलता फूलता नहीं, वह केवल नाम भर का वृक्ष है, वह वृक्ष कहने योग्य है ही नहीं। और जब तक एक फूल सुवास नहीं बिखेरता, वह केवल नाम भर के लिए फूल है,वह अभी फूल बना ही नहीं।


ओशो
झोरबा ध बुद्धा से.......