संजीव जैन's Album: Wall Photos

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तीन खबरें हैं। ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में नल खुला छोड़ने पर अब जेल भी हो सकती है। फिलीपींस में छात्र कम से कम दस पेड़ लगाने के बाद ही ग्रेजुएट हो सकेंगे। जबकि, मलेशिया तीन हजार टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा उन अमीर देशों को वापस भेजेगा, जहां से वे लाए गए थे।
पहले तीसरी शुरू करें। यूं तो प्लास्टिक कचरा दुनिया भर के लिए समस्या बन गया है। लेकिन, अमीर देश अपनी हर समस्या की तरह इस समस्या को भी गरीब देशों के माथे पर टाल रहे हैं। विकसित देशों में पैदा होने वाला हजारों टन कचरा इन दिनों रीसाइकिलिंग के लिए कम विकसित देशों में भेजा जा रहा है। पहले चीन भी इस तरह का कचरा लेता था। लेकिन, इसमें होने वाले फायदे से ज्यादा नुकसान को भांपकर उसने यह काम कम कर दिया है। जबकि, इसका बड़ा हिस्सा मलेशिया व अन्य देशों में जा रहा है। यही नहीं, यहां पर बेहद खतरनाक प्लास्टिक कचरा भी तस्करी के जरिए पहुंचाया जा रहा है। ऐसे ही तस्करी के जरिए मलेशिया पहुंचे तीन हजार टन कचरे को मलेशिया वापस उनके मूल देशों में भेजेगा।
जबकि, जलवायु संकट को भांपते हुए फिलीपींस ने अपने देश की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव किया है। अब पढ़ाई पूरी करने यानी ग्रेजुएट होने से पहले कम से कम दस पेड़ लगाने पड़ेंगे। अनुमान है कि इससे साल भर में ही दस करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए जा सकेंगे, जो पूरे देश के पर्यावरण को सुकून देंगे।
वहीं, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में पानी की भारी किल्लत महसूस की जा रही है। यह किल्लत इतनी ज्यादा है कि अब नल खुला छोड़ने को अपराध घोषित कर दिया गया है। यानी नल की टोंटी खुली छोड़ने पर जेल भी हो सकती है। पानी बर्बाद करते हुए पेड़-पौधों को तर करने पर भी जुर्माना लगाया गया है।
यह तीनों खबरें आज की ही हैं और दुनिया में पर्यावरण का संकट किस हद तक गहराता जा रहा है, इसकी एक बानगी पेश करती हैं।
देखिए, हमारे यहां कब पर्यावरण को बचाने की वास्तविक पहल शुरू होती है।
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