दक्षिण कोरिया की अपनी स्थानीय ट्रेनों में ये पुस्तकालय हैं। क्या एक सभ्य विचार? अनुकरण करने योग्य।
पर अपने यहां तो शहरों तक में अच्छे पुस्तकालय नहीं हैं!! ट्रेनों का नंबर तो बाद में आयेगा! कस्बे स्तर पर चार किताबों का एक कमरा तक नहीं है जहां बच्चे किताबें पढ़ सकें!!
सबसे अहम बात तो ये है कि कोई मांग भी नहीं करता!!