संजीव जैन's Album: Wall Photos

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यह सब धर्म के नाम पर हुआ ।
क्‍या—क्या नहीं किया आदमी ने परमात्मा के नाम पर, सोचो तो जरा! ऐसा क्या है जो आस्तिकों ने नहीं किया परमात्मा के नाम पर? अगर गौर से देखोगे तो नास्‍तिकों के नाम पर पापों की कथा बहुत कम है। उन्होंने घी उधार मांगकर पी लिया होगा, लेकिन यह भी कोई बडा पाप हुआ! लोगों को आग में तो नहीं जलाया। उन्‍होंने मजा —मौज कर लिया होगा, नाच लिए होंगे शराब पी कर, जरा आस्तिकों के पाप का तो हिसाब रखो!

मुसलमानों ने कितने ईसाई मारे, कितने हिंदू मारे? ईसाइयों ने कितने मुसलमान मारे? हिंदू कैसे आग से भर जाते हैं, जब मारने का ज्वार आता है? कैसे अंधे हो जाते हैं? मंदिर—मस्जिद ने लडाया आदमी को। मंदिर—मस्जिद ने जोड़ा कहां? सब युद्ध मंदिर—मस्जिद के नाम पर हुए। पृथ्वी लाशों से पटी, खून से भर गयी। यह सब धर्म के नाम पर हुआ है और आस्तिकों ने किया है।

अगर नास्तिक और आस्तिक के पापों का हिसाब लगाया जाए, तो नास्तिक का पलड़ा हलका है। बहुत हलका है। हा, व्यक्तिगत रूप से उसने कभी घी उधार मांग लिया होगा, यह भी कोई बात हुई! इसका भी कोई हिसाब रखोगे? व्यक्तिगत रूप से किसी स्त्री के प्रेम में पड़ गया होगा, शराब पीकर नाच लिया होगा, ठीक है। मगर किसको दुख पहुंचाया? किसकी छाती में छुरा भोंका? अगर थोड़े—बहुत सुख उसने पा भी लिए होंगे, अगर परमात्मा कहीं है तो क्षमा करेगा। आस्तिक को क्षमा न कर पाएगा।

नास्तिक ने ईश्वर को इंकार करके थोड़ी सी स्वच्छंदता चाही। आस्तिक ज्यादा चालाक है। ज्यादा होशियार है। नास्तिक ईमानदार है। आस्तिक बेईमान है। उसने कहा कि छुटकारा क्या पाना, तुम्हीं से प्रार्थना कर लेते हैं। वहां से कोई उत्तर तो आता नहीं है, तुम्हीं अपना उत्तर बना लेते हो। वहा कोई बोलने वाला तो है नहीं, तुम्हीं जाकर मंदिर में प्रार्थना कर आते हो, तुम्हीं अपनी प्रार्थना पर सिर हिला लेते हो। तुम्हीं धूप—दीप जला लेते हो। तुम्हीं बलि के बकरे चढ़ा देते हो। आदमी तक चढ़ाए तुमने, मगर यज्ञ के नाम पर चढ़ाए, तो धार्मिक हो गयी बात। हत्याएं कीं, खून बहाया, लेकिन यज्ञ के नाम पर बहाया, तो कृत्य पवित्र हो गया।

आस्तिक ने ज्यादा चालाकी की बात की। उसने कहा, परमात्मा को क्यों हटाना, परमात्मा का सहारा ही ले लो। अपनी पाप की यात्रा में उसके कंधे का सहारा ले लो, उसके कंधे पर सवार हो जाओ। आस्तिक ने वही किया, जो उसे करना था।
~osho