संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 1,658 of 15,034 in Wall Photos

पूर्व स्थान : तक्षशिला, भारत
वर्तमान स्थान : रावलपिंडी, पाकिस्तान

ये खण्डर देख रहे हैं आप जिस पर कुछ लोग चढ़ के बेहूदगी कर रहे हैं, ये ये एक मंदिर का खण्डहर है।

ये तस्वीर बहुत कुछ कहती है, एक वहाबी विचारधारा किस तरह सभ्यता को निगल जाती है, ये तस्वीर उसका उदाहरण है।

ये वही तक्षशिला है, जहां आचार्य चाणक्य अपनी नीतियां बनाते थे।
ये वही तक्षशिला है, जहां ज्ञान लेने विदेशों से बच्चे आते थे।

जब ज्ञान की नगरी के साथ ऐसा होता है तो दुख होता है, माँ सरस्वती का अपमान होता है, लेकिन वहाबी विचारधारा वालों को इससे क्या फर्क पड़ता है।

जो लोग हमें असहिष्णु कहते हैं कभी इन लोगों की असहिष्णुता पर मुँह नही खोलेंगे।

जिन नदियों, झीलों के किनारे बैठ ऋषि मुनियों ने ज्ञान की गंगा बहाई उस जगह का आज ये हाल देख कर दुख होता है।

कैसे कबीलाई, लुटेरे, हिंसक प्रवत्ति के लोग सभ्यता को निगल जाते हैं ये तस्वीर वो सब बयान करती है।

ये दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता की हार का प्रतीक है ये हमारे सदियों तक सुस्त पड़े रहने, सोते रहने का प्रतीक है।

बात सही भी है, हम जात - पात, ऊंच नीच से बाहर निकलें तब ही तो हिन्दू बन पाएंगे ना।

ये हमारे हद से ज्यादा उदार रवैये की असफलता का प्रतीक है साथ ही ये चित्र बेशर्मी की हद तक हमारे सिस्टम की नसों में घुसा दिए गए सेकुलरिज्म पे भी तमाचा है।

अभी भी वक्त है, हम नींद से ना जागे तो हम बहुत कुछ खो सकते हैं।

सोचिए और विचार कीजिए।