शहीदों शूरवीरों की शहादत याद आती है।
गज़ब क्या लोग थे वो बादशाहत याद आती है।
लुटा दी जान तक अपनी जिन्होंने देश की ख़ातिर,
वतन से उन शहीदों की मुहब्बत याद आती है।
- योगेन्द्र शर्मा जी
दुनिया में भारत ही एक ऐसा अनूठा राष्ट्र है जो अपने ही नागरिकों द्वारा स्वयं को क्षति पहुँचाने का अधिकार देता है। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ इसलिए ही नहीं असफल हो गया कि उसकी समुचित व्यूह रचना नहीं की गई अपितु हमारे लोगों का हमारे विरुद्ध ही युद्ध में निरूद्घ रहना भी रहा। यह ठीक उसी प्रकार था, जैसे हमारी भुजाएँ हमारे ही शरीर पर प्रहार करें। इस स्वयं के विरुद्ध ही स्वयं के युद्ध में गिरफ्तार कर फाँसी के तख्त पर शहीद हुए वीर तात्या टोपे को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।