बौद्धों ने कभी सर मुंडाना नहीं छोड़ा
न ही पारम्परिक वेश भूषा ही छोडी
सिक्खों ने भी पगड़ी और पांच आवश्यक नियमो का सदैव पालन किया।
मुस्लमानों ने भी कभी कुर्ता पहनना नहीं छोड़ा
न ही दाढ़ी छोडी .. न टोपी ... 5 बार नमाज ... और जुम्मे की नमाज ... सड़क पर, रेल में, गाड़ी के बोनट पर भी पढ़ते हैं।
इसाई तो अपनी पूर्ति के लिए चर्च जाता ही रहा ...
क्यों हिन्दू अपने संस्कारों, परम्पराओं, रीति रिवाजों आदि से दूर हुआ ?