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प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कहा- स्वीटी

अपनी साफगोई और खरी-खरी सुनाने से सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) कभी बाज नहीं आते थे। चाहे फिर सामने भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ही क्यों न हों। किस्सा यह है कि जब 1971 में पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान यानी ईस्ट पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है, वहां पर दमन करना शुरू किया, जिससे लाखों की संख्या में रेफ्यूजीज बांग्लादेश से भारत के बंगाल, असम और त्रिपुरा स्टेट्स में आकर रहने लगे। भारतीय सरकार इससे बहुत परेशान थी। श्रीमति इंदिरा गांधी ने एक दिन इसी संदर्भ में बैठक बुलाई जिसमें विदेश मंत्री, सरदार स्वर्ण सिंह, कृषि मंत्री फखरूद्दीन अली अहमद, रक्षा-मंत्री बाबू जगजीवन राम और वित्त मंत्री यशवंत राव चव्हाण मौजूद थे। उस बैठक में सैम भी आमंत्रित थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम को कहा कि कुछ करना होगा। उनके पूछने पर इंदिरा गांधी ने असमय पूर्वी पाकिस्तान पर हमले के लिए कहा। सैम ने इसका विरोध किया। उन्होंने जवाब दिया कि इस स्थिति में हार तय है। इससे इंदिरा गांधी को गुस्सा आ गया। उनके गुस्से की परवाह किए बगैर मानेकशॉ ने कहा, ‘प्रधानमंत्री, क्या आप चाहती हैं कि आपके मुंह खोलने से पहले मैं कोई बहाना बनाकर अपना इस्तीफा सौंप दूं।’

उन्होंने कहा कि अभी वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। प्रधानमंत्री को यह नागवार गुजरा और उन्होंने इसकी वजह भी पूछी। सैम ने बताया कि हमारे पास अभी न फौज एकत्रित है न ही जवानों को उस हालात में लड़ने का प्रशिक्षण है, जिसमें हम जंग को कम नुकसान के साथ जीत सकें। उन्होंने कहा कि जंग के लिए अभी माकूल समय नहीं है लिहाजा अभी जंग नहीं होगी। इंदिरा गांधी के सामने बैठकर यह उनकी जिद की इंतेहां थी। उन्होंने कहा कि अभी उन्हें जवानों को एकत्रित करने और उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए समय चाहिए और जब जंग का समय आएगा तो वह उन्हें दिखा देंगे। इसके लगभग 7 महीने बाद उन्होंने तैयारी पूरी करके बांग्लादेश का युद्ध लड़ा और उस युद्ध में क्या हुआ वो सब जानते हैं। इस युद्ध से पहले जब इंदिरा गांधी ने उनसे भारतीय सेना की तैयारी के बारे में पूछा था तो उन्होंने जवाब दिया, ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी।’ इंदिरा गांधी को ‘स्वीटी’ करने का साहस सिर्फ सैम मानेकशॉ में ही था।