आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमारी प्राचीन संस्कृति बहुत पीछे छूट गई है
क्यों ऐसा हो रहा है जरा सोच कर देखे कि इस दौड़ में हमने क्या खो दिया।हमारा पतन कितने निम्न स्तर पर पहुँच गया क्यों हमको एक दूसरे के दुःखों का एहसास तक महसूस नहीं होता हम सब स्वार्थी बन गए।
जरा एक बार सोच कर सोचें
दूसरे की मदद करने में क्या खुशी,आनंद मिलता है इसको दिल से महसूस करके देखे बहुत मजा आएगा।