यह हमारे देश का स्वभाब है कि हमने निर्धनता को बहुत महिमा मंडित किया है। दरिद्रता ओर सर्ब त्यागी में अंतर है। याचक बन कर भिक्षावृति पर जीवन यापन करने बाले यह बृद्ध आराम से स्लीपर कोच में यात्रा कर रहे है और इनके हाथ मे बंधी राखियों से हम अनुमान लगा सकते है कि कितने लोगों ने इनसे रक्षा की अपेक्षा की होगी। यह भारत का स्वभाव है कि हम हृदय से सोचते है। दिमाग से नहीं।