पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव साहब धीर, गम्भीर, ज्ञानी पुरुष थे । अयोध्या में जब जमीन समतल हो रही थी, तो वे भोले बाबा की बूटी सूंघ कर ध्यान की परम अवस्था में चले गए थे । और जब ध्यान से बाहर आये तो इतिहास रचा जा चुका था ।
उनके कार्यकाल में जब उनसे किसी पत्रकार ने भाजपा की बढ़ती ताकत और उसको काउंटर करने के विषय में सवाल किया तो उनका जवाब था कि हम भाजपा से बड़ी आसानी से लड़ और जीत सकते हैं, लेकिन हम राम से नहीं लड़ सकते ।
इस बात के निहितार्थ को आज भी गैर भाजपा दल नहीं समझ पाए हैं और वे भाजपा से लड़ने के लिए राम से भी लड़ जाते हैं । समस्त तर्कों के परे राम से लड़ाई देश मे कभी स्वीकार्य ही नहीं हो सकती । ऐसा नहीं है कि राम पर भाजपा का कॉपीराइट है लेकिन 'उन्होंने' राम पर इतने हमले किये हैं कि उनकी नजर में आज राम भी भाजपाई, साम्प्रदायिक और अछूत हो गए हैं और इसलिए वे लड़ते ही रहेंगे राम से और हारते रहेंगे राम से ।