संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 2,995 of 15,099 in Wall Photos

एक आग जो दहक रही है
मन के किसी कोने में
जल रहा है
मेरे अंतस का पोर पोर
आओ तुम इसे बुझा दो ना
नजदीक इतना में दरिया के
मन फिर भी सूखा सूखा
कंठ प्यासे ओठ सूखे
नयनो में नदिया की धारा
आओ तुम ये अगन बुझा दो ना
पलके बोझिल चहुँ ओर अंधेरा
नींद फिर भी कोसो दूर
स्वस्प्न लगते कामिनी से
डर लगता सुन कोई चीत्कार
अब कोंन कहे ये मन की आवाज
आओ तुम मुझे सुला दो ना
बचपन मे सुनी थी माँ की लौरिया
पालने में होल से हाथों की
उनकी रस भरी थपकियाँ
जब कौंधता था मन
आँचल की उनके नज़दीकियां
दूर कही वे अब नज़रो से
आओ तुम मुझे बुला लो ना
संजय ---------