भारत की शिक्षा व्यवस्था तथा सरकारी क्षेत्र की गुणवत्ता अपने आप तबाह नहीं हुई है। संविधान में जातीय जहर भरने वालों ने आरक्षण के द्वारा भारतीय योग्यता की कब्र खोद दी है।
किसी परीक्षा में यदि छात्र की जगह किसी बंदर, कुत्ते या बिल्ली को भी बैठा दिया जाएगा तो भी वह कम से कम शून्य अंक पा जायेगा , लेकिन जातीय आरक्षण से शिक्षक नियुक्त होने वाले आरक्षण-वीर तो शून्य से 23 अंक कम (-23) पाने के बावजूद गणित के अध्यापक बन रहें हैं।
जबकि इसी परीक्षा में 200 से अधिक नंबर पाने वाले सवर्ण जातियों के छात्र फेल कर दिए गए हैं।
अब यही -23 वाले आरक्षण-वीर शिक्षक छात्रों का भविष्य चौपट करेंगे।
भारत के असली दुश्मन न तो अंग्रेज थे, न पाकिस्तान, न चीन । भारत के असली दुश्मन वे लोग थे जिन्होंने जातीय आरक्षण लागू करके देश को हमेशा के लिए अपंग बना डाला।