संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 13,715 of 15,066 in Wall Photos

जय जिनेन्द्र बंधूओ
कृपया पुरी पोस्ट पढे एवं शेअर करे

आज २९ एप्रिल को जैन धर्मका शान बढानेवाले दानवीर भामाशाहजी जैन इनकी जन्म जयंती है ।
भामाशाह जैन त्याग-बलिदान और दान के प्रतीक थे। भामाशाह जैन महान व्यक्ति थे। उन्होंने महाराणा प्रताप को प्रचूर धन दान में दिया ताकि वे अकबर से युद्ध कर सकें और वे स्वयं युद्ध क्षेत्र में तलवार लेकर लड़े
अपरिग्रह को जीवन का मूलमंत्र मानकर संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहने की चेतना जगाने में आप सदैव अग्रणी रहे । आपको मातृ-भूमि के प्रति अगाध प्रेम था और दानवीरता के लिए आपका नाम इतिहास में अमर है ।आपकी दानशीलता के चर्चे उस दौर में आसपास बड़े उत्साह, प्रेरणा के संग सुने-सुनाए जाते थे । आपके लिए पंक्तियां कही गई है-

वह धन्य देश की माटी है, जिसमें भामा सा लाल पला ।
उस दानवीर की यश गाथा को, मेट सका क्या काल भला ।।

1. आपका जन्म अलबर राजस्थान के मेवाड़ राज्य में 29 अप्रैल 1547 को हुआ । अपने पिता की तरह आप भी राणा प्रताप परिवार के लिए समर्पित थे।
2. आप जैन धर्म के अनुयायी थे और परम देशभक्त और अद्भूत दानी थे। आप व्यापार करते थे।
3. आपके पास स्वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था। उन्होंने यह सब महाराणा प्रताप के चरणों मे अर्पित कर दिया।
4. इतिहासकारों के अनुसार भामाशाह ने 25 लाख रूपए (इस समय यह रकम कई अरब बैठेगी) तथा 20000 अशर्फी महाराणा प्रताप को दी।
5. महाराणा प्रताप ने आखों मे आसूं भरकर भामाशाह जैन को गले से लगा लिया था।
6. भामाशाह जैन से प्राप्त धन से महाराणा प्रताप ने सेना को संगठित करके अपने क्षेत्रा को मुक्त करा लिया।
7. परम देशभक्त भामाशाह जैन ने अकबर के दरबार मे मनचाहा पद लेने का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
8. अपनी मृत्यु से पूर्व उन्होनें अपने पुत्रो को आदेश दिया कि, वह महाराणा प्रताप के पुत्रो के साथ वैसा ही व्यवहार करे, जैसा उन्होंने महाराणा प्रताप के साथ किया हैं
9. भामाशाह जैन की सोच, चिन्तन, मानसिकता अति सराहनीय व प्रशंसनीय है। वे महाराणा प्रताप के साथ सदैव याद किए जाएंगे।
लोकहित और आत्मसम्मान के लिए अपना सर्वस्व दान कर देने वाली उदारता के गौरव-पुरुष की इस प्रेरणा को चिरस्थायी रखने के लिए शासन ने उनकी स्मृति में दानशीलता, सौहार्द्र एवं अनुकरणीय सहायता के क्षेत्र में दानवीर भामाशाह सम्मान स्थापित किया है ।
|| जय जिनेंद्र ||