जरा विचार करें!
क्या आपको यह महसूस होता है कि आप स्वतंत्रता के साथ अपना जीवन जी रहे हैं,क्या हम दूसरों के हाथों की कठपुतलिया नहीं बने हुए हैं,क्यों हम दूसरों के इशारों पर नाच रहे है।सत्य बात तो यह है कि---
किसी भी देश को आर्थिक और मानसिक गुलाम बनाना है तो उस देश की मूल संस्कृति पर कब्जा करो देश पर अपने आप हो जाऐगा और ये हमारे साथ हो रहा है।
भले ही देश आज राजनीतिक आजाद हो गया लेकिन मानसिक गुलाम तो कही न कही आज भी है, हो सकता है अनजाने मे ही सही लेकिन यह सच है ,हम अपने देश से ज्यादा महत्वपूर्ण दूसरे देशो को मानते हैं उनके पहनावे,रहन सहन सभ्यता और संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं।
आइए भारत की महत्ता व उन्नति का संकल्प हम लोग ले और अधिकतर स्वदेशी का महत्व समझ कर अपना योगदान करें।