ये हिन्दू धाम वैष्णों देवी में उर्दू बोर्ड की जरूरत कोई समझाए..
क्या मुस्लिम दर्शन को जाते है ?
कितने हिन्दू उर्दू पढ़ समझ लेते है? इतनी स्पेस में वैष्णों माता की फ़ोटो हो सकती थी। ये रेलवे या बस अड्डा या हॉस्पिटल भी नही है जो सबका साथ सबका विश्वास की पीपड़ी बजाई जाए..
ये जिसने भी किया उसको ठीक से समझने और समझाने की जरूरत है।