Vijay Tripathi Vijay's Album: Wall Photos

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.....हमारे पूर्वज कितने वैज्ञानिक आधार पर जीवनयापन करते थे, उनके छोटे से छोटे कार्य में विज्ञान परिलक्षित होता है.
.....शौचादि क्रिया के पश्चात हस्त प्रक्षालन हेतु वे चूल्हे की राख या मिट्टी का प्रयोग करते थे, जिससे हर प्रकार के कीटाणु सिर्फ़ राख या मिट्टी की कठोरता से रगड़ कर मृत्यु को प्राप्त होते थे.
.....उस पर भी राख और मिट्टी से तीन से पाँच बार हाथ धोए जाते थे , ताकि कीटाणु समूल नष्ट हो जाए, और कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं, कोई स्किन डैमेज नहीं.
......अब आज देखिए, साबुन से कम से कम 20 सेकेण्ड हाथ धोने को डाक्टर कह रहे हैं, सोचिए जरा, जो आज विज्ञान बता रहा है, हमारे पूर्वज उसे आदि काल से मानते रहे हैं.
.....ऐसे ही प्राचीन समय में गाय के गोबर से घर सैनेटाईज किए जाते थे.
.....कालान्तर में प्रतिवर्ष चूने से घर की पुताई होती थी, वह भी एक प्रकार का सैनेटाइजेशन था.
.....राख से या मिट्टी से रगड़ के एक बार ही हाथ धो दीजिए ' कोरोनासुर ' रगड़ के मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा.
.....लेकिन हम अधकचरी अंग्रेजी मानसिकता का शिकार हो गए.
..... अब क्या हो.
.....अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत.
..... हमने तो अंग्रेजो की हर बात आंख मूँद कर एक्सेप्ट कर ली, जैसे फ़ेसबुक में हर फ़्रेन्ड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेते हैं.
......आ अब लौट चलें.
.......सनातन की ओर..