Anupama Jain
मौसम को इशारों से बुला क्यूँ नहीं लेते
रूठा है अगर वो तो मना क्यूँ नहीं लेते
दीवाना तुम्हारा कोई ग़ैर नहीं
मचला भी तो सीने से लगा क्यूँ नहीं लेते
ख़त लिख कर कभी और कभी ख़त को जलाकर
तन्हाई को रंगीन बना क्यूँ नहीं लेते
तुम जाग रहे हो मुझे अच्छा नहीं लगता
चुपके से मेरी नींद चुरा क्यूँ नहीं लेते
jay incestAdvisor
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