Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
जूही सिंह
इनबुक साथियों
नमस्कार
आपने मेरे फुरसतिया ग्रुप को ढेर सारा प्यार और सम्मान दिया है उसके लिए आपका शुक्रिया करते हुए एक नया ग्रुप लेकर आ रही हूं उसका शीर्षक है
आप कितने बुद्धिमान है
राहुल वर्मा
नज़र से तुम्हें छू लूं,
अदरकी स्वाद मिले
तुझ संग रोज़
मुलाक़ात होनी चाहिए।
बादलों से उफनता
मदमाता नेह
रिमझिम नरम
बरसात होनी चाहिए
दस्तूर में वारी गई गंध
इलायची जैसी धीमी लौ सी
गिरती रात होनी चाहिए।
तू गीत गाए और
मैं मुस्कुराऊं बंसी सी
चाय पर ऐसी
मीठी बात होनी चाहिए।।
Devendra Singh Chouhan
(owner)
कोविड 19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए क्या मोदी जी को पुनः पहले जैसा कठोर लोक डाउन लगाना चाहिए।
राय देवें।
Priyadarshi Tiwari
*भीषण गर्मी पर बुंदेलखंड के कवि की सुंदर रचना*
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
*विकट दुफ़रिया है सन्नानी*
सूरज निकरो है खिसिया कें, विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
ऊपर-नेंचें प्रान हो रये,लपटें करें खूब मनमानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
मौसम लयें आग के हंटर,जो मिल रव सो मार रओ है।
धूप तुनक के लाल हो गयी,पहिले भारी प्यार रओ है।
सूरज खों रंगदारी करबे,की आदत है भोत पुरानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
गरम हवा सब फेंक रये हैं,कूलर-पंखा फेल हो गये।
बाहर जाबे की दम नैयाँ,नजरबन्द,घर जेल हो गये।।
मूँड़ सें चुयें पसीना,अखल-बखल हो रय सब प्रानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
नदियाँ सबई दूबरी हो गयीं, ताल-तलैया सूख गये हैं।
जाने कहाँ गयी हरयाली,मरे मरे से रूख भये हैं।।
ढोर-बछेरू छाँव ढूंढ रय,पीबे तक कों नैयाँ पानी।।
विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
पके कलींदे, मठा, चीमरी, सकला, सतुआ,पनो आम को।
गन्ना रस,अंगूर,संतरा,करें सामनो कठिन घाम को।।
कुल्फी और बरफ को गोला, खाके तबियत तनक जुड़ानी।।
सूरज निकरो है खिसिया कें, विकट दुफ़रिया है सन्नानी।
ऊपर -नेंचें प्रान हो रये, लपटें करतीं हैं मनमानी।।
*विकट दुफ़रिया है सन्नानी।*
राज सिंह
1-यदि मिट्टी से आदम(Adam) बन सकता है तो फिर मैल से गणेश क्यों नही?
2-यदि आदम की पसली से पैदा होकर हव्वा(Eve) आदम की बेटी नही हुई तो फिर ब्रह्मा से पैदा होकर सरस्वती ब्रह्मा की बेटी कैसे हो गयी?
3-यदि जन्नत की गधी का सर स्त्री का हो सकता है तो फिर गणेश का सर हाथी का क्यों नही?
4-यदि चाँद के टुकड़े हो सकते है तो फिर सूरज क्यों नही निगला जा सकता?
5-यदि ऊंट का मूत्र दवा हो सकता है तो गौ मूत्र क्यों नही?
6-यदि एक जानवर सुवर धर्म की दृस्टि से खराब हो सकता है तो फिर धर्म की दृष्टि से गौ सम्मानित क्यों नही हो सकती?
7-यदि नबियो के वंश बेटियो और दासियों के नियोग से चल सकते है तो फिर सनातन में नियोग से आपत्ति क्यों?
8-यदि मुर्तिया बोल नही सकती तो अल्लाह की भी हिम्मत नही की किसी को दिख जाए वर्तमान समय में या बात कर ले?
9- यदि अल्लाह को मस्जिद की जरूरत है तो फिर भगवान के मन्दिरो से आपत्ति क्यों?
10- यदि भगवान भारत से बाहर नही गया तो अल्लाह भी अरब के रेत से बाहर नही निकला?
11- यदि पत्थर में शैतान हो सकता है तो पत्थर में भगवान की भावना से आपत्ति क्यों?
12- यदि धरती आकाश इस्लाम में बोल सकते है तो फिर सनातन में इन्हें देव मानने से आप्पति क्यों ?