रणजीत राय
बड़े बूढ़े कह गए हैं कि दान और उपकार करने से पहले यह सुनिश्चित कर लो कि दान या उपकार को पाने वाला व्यक्ति सुपात्र है या कुपात्र।
इस पर आज पंचतंत्र की एक कहानी मेरे हाथ लगी है जिसे मैं आपसे जरूर शेयर करना चाहूंगा, क्योंकि मैंने स्वयं अपने जीवन में कई दान और उपकार बिना यह जाने किये कि उसको पाने वाला सुपात्र है या नहीं, जिसका दुष्परिणाम अब मैं जीवन पर्यंत भुगत रहा हूं।
खैर छोड़ो,
आप यह कहानी पढ़ो:
जंगल में शेर शेरनी शिकार के लिये दूर तक गये अपने बच्चों को अकेला छोडकर।
जब देर तक नही लौटे तो बच्चे भूख से छटपटाने लगे.
उसी समय एक बकरी आई उसे दया आई और उन बच्चों को दूध पिलाया फिर बच्चे मस्ती करने लगे.
तभी शेर शेरनी आये. बकरी को देख लाल पीले होकर शेर हमला करता,
उससे पहले बच्चों ने कहा इसने हमें दूध पिलाकर बड़ा उपकार किया है नही तो हम मर जाते।
अब शेर खुश हुआ और कृतज्ञता के भाव से बोला हम तुम्हारा उपकार कभी नही भूलेंगे, जाओ आजादी के साथ जंगल मे घूमो फिरो मौज करो।
अब बकरी जंगल में निर्भयता के साथ रहने लगी यहाँ तक कि शेर के पीठ पर बैठकर भी कभी कभी पेडो के पत्ते खाती थी।
यह दृश्य चील ने देखा तो हैरानी से बकरी को पूछा तब उसे पता चला कि उपकार का कितना महत्व है।
चील ने यह सोचकर कि एक प्रयोग मैं भी करती हूँ,
चूहों के छोटे छोटे बच्चे दलदल मे फंसे थे निकलने का प्रयास करते पर कोशिश बेकार ।
चील ने उनको पकड पकड कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.
बच्चे भीगे थे सर्दी से कांप रहे थे तब चील ने अपने पंखों में छुपाया, बच्चों को बेहद राहत मिली.
काफी समय बाद चील उडकर जाने लगी तो हैरान हो उठी वह उड़ ही ना सकी। चूहों के बच्चों ने उसके पंख कुतर डाले थे।
चील ने यह घटना बकरी को सुनाई तुमने भी उपकार किया और मैंने भी फिर यह फल अलग-अलग क्यों? ?
बकरी हंसी फिर गंभीरता से कहा....
उपकार करो,
तो शेरों पर करो
चूहों पर नही।
क्योंकि कायर कभी उपकार को याद नही रखते और बहादुर कभी उपकार नही भूलते...!!!
अगर आप सुपात्र की पहचान नहीं कर सकते तो दान या उपकार ना करना ही ज्यादा श्रेयष्कर है।
(बहुत ही गहरी बात है, समझो तो ठीक, नहीं तो समय बड़ा बलवान है वह खुद ही समझा देगा)
Piyas Sarkar
अगर हिंदी गठबंधन सत्ता में आ गई तो लाभार्थियों की सूची कैसे बनाई जाएगी ❓ वही, 'एक हाथ दे एक हाथ ले'।