मनोज जैन
दुनियां का सबसे छोटा संविधान अमेरिका का है
केवल 13 पन्नों का
उससे भी छोटा संविधान योगी जी का है केवल दो लाइन का
कायदे में रहोगे तो ही फायदे में रहोगे
सुरजा एस
दो लोग जबरदस्ती
व्हीलचेयर पर लदे हैं
दीदी हार के डर से और मुख्तार मार के डर से
jareen jj
अब भी कहोगे साथियों कि
इनबुक को फेसबुक जैसा होना चाहिए
शशि यादव
क्या आप लोग वक्फ बोर्ड को हटाने का समर्थन करते हैं
शशिरंजन सिंह
*आखिर क्यों मोदी को समंदर में डुबकी लगाकर द्वारका जी के दर्शन करने जाना पड़ा.?*
गुजरात हाई कोर्ट ने Bet Dwarka के 2 द्वीपों पर कब्जा जमाने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के सपने को चकनाचूर कर दिया है।।
इस समय गुजरात का यह विषय बहुत चर्चा में है।। सोशल मीडिया के माध्यम से हम लोगों को मालूम पड़ गया वरना पता ही नहीं चलता।
@कैसे पलायन होता है @और कैसे कब्जा होता है, @ लैंड जिहाद क्या होता है वह समझने के लिए _आप बस बेट द्वारिका टापू का अध्ययन करलें तो सब प्रक्रिया समझ आ जायेगी।_
@कुछ साल पहले तक यहाँ कि लगभग पूरी आबादी हिन्दू थी।
यह ओखा नगरपालिका के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र है जहाँ जाने का एकमात्र रास्ता पानी से होकर जाता है।
इसलिए बेट द्वारिका से बाहर जाने के लिए लोग नाव का प्रयोग करते हैं।।
यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है।
कहते हैं कि 5 हजार साल पहले यहाँ रुक्मिणी ने मूर्ति स्थापना करी थी।
>समुद्र से घिरा यह टापू बड़ा शांत रहता था।
>लोगो का मुख्य पेशा मछली पकड़ना था।
> _धीरे धीरे यहाँ बाहर से मछली पकड़ने वाले मुस्लिम आने लगे।_
> _दयालु हिन्दू आबादी ने इन्हें वहाँ रहकर मछली पकड़ने की अनुमति दे दी।_
>धीरे धीरे मछली पकडने के पूरे कारोबार पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया।
>> *बाहर से फंडिंग के चलते इन्होंने बाजार में सस्ती मछली बेची जिससे सब हिन्दू मछुआरे बेरोजगार हो गये*।
>अब हिन्दू आबादी ने रोजगार के लिए टापू से बाहर जाना शुरू किया।
लेकिन यहां एक और चमत्कार / प्रयोग हुआ ।
बेट द्वारिका से ओखा तक जाने के लिए नाव में 8 रुपये किराया लगता था।
*अब क्योंकि सब नावों पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया था तो उन्होंने किराये का नया नियम बनाया।*
_जो हिन्दू नाव से ओखा जायेगा वह किराये के 100 रुपये देगा और मुस्लिम वही 8 रुपये देगा।_
अब कोई दिहाड़ी हिन्दू केवल आवाजाही के 200 रुपये देगा तो वह बचायेगा क्या ?
@ _इसलिए रोजगार के लिए हिन्दुओ ने वहाँ से पलायन शुरू कर दिया।_
@ *अब वहाँ केवल 15 प्रतिशत हिन्दू आबादी रहती है।*
आपने पलायन का पहला कारण यहाँ पढ़ा।
>> _रोजगार के 2 मुख्य साधन मछली पकड़ने का काम और ट्रांसपोर्ट दोनो हिन्दुओ से छीन लिया गया।_
जैसे बाकी सब जगह राज मिस्त्री,कारपेंटर, इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री , ड्राइवर ,नाई व अन्य हाथ के काम 90% तक हिन्दुओ ने उनके हवाले कर दिये हैं।
अब बेट द्वारिका में तो 5 हजार साल पुराना मंदिर है जिसके दर्शन के लिए हिन्दू जाते थे तो इसमें वहां के जिहादियों ने नया तरीका निकाला।
@ क्योंकि *आवाजाही के साधनों पर उनका कब्जा हो चुका था* तो उन्होंने आने वाले _श्रद्धालुओं से केवल 20-30 मिनट की जल यात्रा के 4 हजार से 5 हजार रुपये मांगने शुरू कर दिये।_
@ इतना महंगा किराया आम व्यक्ति कैसे चुका पायेगा इसलिए लोगो ने वहां जाना बंद कर दिया।
>>> अब जब वहाँ पूर्ण रूप से जिहादियों की पकड़ हो गई तो उन्होंने जगह जगह मकान बनाने शुरू किये, देखते ही देखते प्राचीन मंदिर चारों तरफ से *मजारों* से घेर दिया गया।
वहाँ की बची खुची हिन्दू आबादी सरकार को अपनी बात कहते कहते हार चुकी थी, फिर कुछ हिन्दू समाजसेवियों ने इसका संज्ञान लिया और सरकार को चेताया।
सरकार ने ओखा से बेट द्वारिका तक सिग्नेचर ब्रिज बनाने का काम शुरू करवाया।
बाकी विषयो की जांच शुरू हुई तो जांच एजेंसी चौंक गई।
*गुजरात में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका स्थित बेट द्वारिका के दो टापू पर अपना दावा ठोका है।*
वक्फ बोर्ड ने अपने आवेदन
में दावा किया है कि बेट द्वारका टापू पर दो द्वीपों का स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं और इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया।
> बेट द्वारका में करीब आठ टापू है, जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं।
प्राचीन कहानियां बताती हैं कि भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए मीरा यहीं पर उनकी मूर्ति में समा गई थी।
*बेट द्वारका के इन दो टापू पर करीब 7000 परिवार रहते हैं, इनमें से करीब 6000 परिवार मुस्लिम हैं।*
यह द्वारका के तट पर एक छोटा सा द्वीप है और ओखा से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
वक्फ बोर्ड इसी के आधार पर इन दो टापू पर अपना दावा जताता है।
यहां अभी इस साजिश का शुरुआती चरण ही है कि इसका खुलासा हो गया.
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस चरण में कुछ लोग, ऐसी जमीनों पर कब्जा करके अवैध निर्माण बना रहे थे, जो रणनीतिक रूप से, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता था.
अब जाकर सब अवैध कब्जे व मजारें तोड़ी जा रही हैं।
माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी की कृपा से अब सी लिंक का उद्घाटन होने वाला है, मुसलमानों के नौका/छोटे पानी के जहाज से यात्रा करवाने का धंधा भी चौपट होने जा रहा है,
जय हो,
मोदी है तो मुमकिन है।
*बेट द्वारिका में आने वाला कोई भी मुसलमान वहाँ का स्थानीय नहीं है सब बाहर के हैं।*
फिर भी उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही वर्षों में वहां के हिन्दुओ से सब कुछ छीन लिया और भारत के गुजरात जैसे एक राज्य का टापू *सीरिया* बन गया।
*सावधान व सजग रहना अत्यंत आवश्यक है ।।*
*कम से कम पांच ग्रुप में जरूर भेजे*
*कुछ लोग नही भेजेंगे*
*लेकिन मुझे उम्मीद है आप जरूर भेजेंगे...!*
*जागो हिन्दू जागो...
राहुल वर्मा
प्रेम के हर इक वचन की
आज अंतिम रात साथी
आज कुछ मत शेष रखना!
आज से ख़ुद पर जताना
तुम स्वयं अधिकार अपने
सौंप कर संकल्प सारे
हम चले संसार अपने
आज से हम हो रहे हैं
इक नदी के दो किनारे
आज अपनी बाँह में ही
बांध लो अभिसार अपने
आज से केवल नयन में
नेह के अवशेष रखना
आज कुछ मत शेष रखना!
चांद से अब मत उलझना
याद कर सूरत हमारी
अब नदी की चाल में
मत ढूंढना कोई ख़ुमारी!
अब नहीं रंगत परखना
धूप से कच्चे बदन की
अब हमारी ख़ुश्बुओं से
हो चलेंगे फूल भारी!
मात्र सुधियों में हमारे
श्यामवर्णी केश रखना
आज कुछ मत शेष रखना!
देखकर पानी बरसता
आज से बस मन रिसेगा
अब हमेशा प्रेम के हर
रूप पर दर्पण हंसेगा!
मेघ की लय पर सिसकती
बूंद अब छम-से गिरेगी
आज जूड़े में ज़रा-सा
अनमना सावन कसेगा!
है कठिन अब बिजलियों
के प्राण में आवेश रखना
आज कुछ मत शेष रखना!
Mukesh Bansal
शहर के एक बड़े संग्रहालय (Museum) के बेसमेंट में कई पेंटिंग्स रखी हुई थी. ये वे पेंटिंग्स थीं, जिन्हें प्रदर्शनी कक्ष में स्थान नहीं मिला था. लंबे समय से बेसमेंट में पड़ी पेंटिंग्स पर मकड़ियों ने जाला बना रखा था.
बेसमेंट के कोने में पड़ी एक पेंटिंग पर एक मकड़ी (Spider) ने बड़ी ही मेहनत से बड़ा सा जाला बुना हुआ था. वह उसका घर था और वह उसके लिए दुनिया की सबसे प्यारी चीज़ थी. वह उसका विशेष रूप से ख्याल रखा करती थी.
एक दिन संग्रहालय (Museum) की साफ़-सफाई और रख-रखाव कार्य प्रारंभ हुआ. इस प्रक्रिया में बेसमेंट में रखी कुछ चुनिंदा पेंटिंग्स (Paintings) को म्यूजियम के प्रदर्शनी कक्ष में रखा जाने लगा. यह देख संग्रहालय के बेसमेंट में रहने वाली कई मकड़ियाँ अपना जाला छोड़ अन्यत्र चली गई.
लेकिन कोने की पेंटिंग की मकड़ी ने अपना जाला नहीं छोड़ा. उसने सोचा कि सभी पेंटिंग्स को तो प्रदर्शनी कक्ष में नहीं ले जाया जायेगा. हो सकता है इस पेंटिंग को भी न ले जाया जाये.
कुछ समय बीतने के बाद बेसमेंट से और अधिक पेंटिंग्स उठाई जाने लगी. लेकिन तब भी मकड़ी ने सोचा कि ये मेरे रहने की सबसे अच्छी जगह है. इससे बेहतर जगह मुझे कहाँ मिल पाएंगी? वह अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं थी. इसलिए उसने अपना जाला नहीं छोड़ा.
लेकिन एक सुबह संग्रहालय के कर्मचारी उस कोने में रखी पेंटिंग को उठाकर ले जाने लगे. अब मकड़ी के पास अपना जाला छोड़कर जाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था. जाला न छोड़ने की स्थिति में वह मारी जाती. बुझे मन से उसने इतनी मेहनत से बनाया अपना जाला छोड़ दिया.
संग्रहालय से बाहर निकलने के बाद वह कई दिनों तक इधर-उधर भटकती रही. कई परेशानियों से उसे दो-चार होना पड़ा. वह बड़ी दु:खी रहा करती थी कि उसका ख़ूबसूरत घर भगवान ने उससे छीन लिया और उसे इस मुसीबत में ढकेल दिया.
वह संग्रहालय के अपने पुराने घर के बारे में सोचकर और दु:खी हो जाती कि उससे अच्छा स्थान अब उसे कभी हासिल नहीं होगा. लेकिन उसे अपने रहने के लिए स्थान तो खोजना ही था. इसलिए वह लगातार प्रयास करती रही. आखिर में एक दिन वह एक सुंदर बगीचे में पहुँची.
बगीचे में एक शांत कोना था, जो मकड़ी को बहुत पसंद आया. उसने फिर से मेहनत प्रारंभ की और कुछ ही दिनों में पहले से भी सुंदर जाला तैयार कर लिया. यह उसका अब तक का सबसे ख़ूबसूरत घर था. अब वह ख़ुश थी कि जो हुआ अच्छा ही हुआ, अन्यथा वह इतने सुंदर स्थान पर इतने सुंदर घर में कभी नहीं रह पाती. वह ख़ुशी-ख़ुशी वहाँ रहने लगी.
*सीख – कभी-कभी जीवन में ऐसा कठिन समय आता है, जब हमारा बना-बनाया सब कुछ बिखर जाता है. ये हमारा व्यवसाय, नौकरी, घर, परिवार या रिश्ता कुछ भी हो सकता है. ऐसी परिस्थिति में हम अपनी किस्मत को कोसने लगते हैं या भगवान से शिकायतें करने लग जाते हैं. लेकिन वास्तव में कठिन परिस्थितियों हमारे हौसले की परीक्षा है. यदि हम अपना हौसला मजबूत रखते हैं और कठिनाइयों से जूझते हुए जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं, तो परिस्थितियाँ बदलने में समय नहीं लगता. हमारा हौसला, हमारा जुझारूपन, हमारी मेहनत हमें बेहतरी की ओर ले जाती हैं. यकीन मानिये, हौसला है तो बार-बार बिखरने के बाद भी आसमान की बुलंदियों को छुआ जा सकता है।*
अनिल जैन
रिश्ते खून से नहीं, बल्कि भरोसे से बनते है और भरोसा वहां टूटता है, जहां अहमियत कम हो जाती है..