जिस जज ने खुलवाया राम मंदिर का ताला, आखिर ऐसा क्यों हुआ उनके साथ | राजीव गाँधी | Rebellion Voice
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साफ है कि अयोध्या की कहानी, इसका इतिहास कांग्रेस की सरकारों के छल और गैरकानूनी फैसलों से भरा पड़ा है. इसमें केंद्र की सरकारें भी शामिल रही हैं. पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को उसी वक्त इस खतरनाक साजिश का अंदाजा हो गया था, जब 22 नवंबर 1949 को रात में चुपके से रामलला की मूर्तियां विवादित जगह पर रख दी गई थीं. जबकि उस वक्त के मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत इसके खिलाफ थे.
नेहरू जहां राजनीति और धर्म के घालमेल के बिल्कुल खिलाफ थे. वहीं राजीव गांधी ने मंदिर के ताले खोलने का फैसला करके हिंदू वोटों की लामबंदी अपने हक में करने की कोशिश की. ताकि वो वीपी सिंह की बगावत से निपट सकें. हालांकि कांग्रेस की ये चालाकी काम नहीं आई और उसने पूरे देश में अपना जनसमर्थन गंवा दिया.
#राममंदिर , #1986, #ताला ,#जज
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